Kargil: जब अटल जी के एक कॉल से नवाज शरीफ के छूटे थे पसीने, जानें PAK के पूर्व PM का वो किस्सा..
Kargil War 1999: पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने अपनी बायोग्रफी 'गद्दार कौन? नवाज शरीफ की कहानी उनकी जुबानी' किताब में कारगिल युद्ध से जुड़े एक किस्से का जिक्र किया है.
Kargil Vijay Diwas 2023: 26 जुलाई, 1999 का दिन हर भारतीय के जहन में हमेशा रहेगा. क्योंकि इस दिन भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए दुश्मन देश पाकिस्तान को कारगिल की लड़ाई में हराया था. कारगिल दिवस पर आज के दिन हम 24 साल पहले हुए कारगिल वार से जुड़ा एक किस्सा बता रहे है. जिसके बारे में शायद आपको मालूम न हो. दरअसल, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के एक फोन कॉल से पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवजा शरीफ के पसीने छूट गए थे.
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान दौरे पर थे. ये घटना फरवरी, 1999 की कारगिल वार से पहले की है. वाजपेयी के साथ अभिनेता देवानंद, कपिल देव, जावेद अख्तर समेत 20-25 लोग शामिल थे. अटल जी बस में बैठकर वाघा बॉर्डर पार करके लाहौर पहुंचे तो पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को दोस्ताना अंदाज से गले लगाया. लेकिन वाजपेयी को पता ही नहीं था कि इसके पाकिस्तान पीठ पीछे कायराना हरकत को अंजाम देने में लगा है. इसका पता वाजपेयी को चार महीने के बाद पता चला.
एक तरफ नवाज शरीफ वाजपेयी के साथ मिलकर शांति कायम करने बात कर थे तो उसी दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने लद्दाख के द्रास में भारतीय जमीन कारगिल पर कब्जा कर लिया था. जब भारत को इसके बारे में पता चला तो पाक अधिकारियों ने कहा था कि जो कुछ भी कारिगल में हुआ है उसकी जानकारी वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ को थी. लेकिन नवाज शरीफ ने इसका खंडक करते हुए कहा था कि उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं थी.
शरीफ ने अपनी बायोग्रफी में कारगिल वार के किस्से का जिक्र किया
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने अपनी बायोग्रफी 'गद्दार कौन? नवाज शरीफ की कहानी, उनकी जुबानी' किताब में कारगिल युद्ध के एक किस्से का जिक्र किया है. नवाज शरीफ ने भारत के पूर्व पीएम स्व. वाजपेयी के अचानक आए उस फोन कॉल का जिक्र किया है, जिससे पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम घबरा गए थे.
नवाज साहेब...पीठ में छुरा घोंपा
अटल जी को मई, 1999 को कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी मिली. इसके बाद वायपेयी ने तुरंत समय जाया न करते हुए नवाज शरीफ फोन कॉल लगाया और गुस्से भरे अंदाज में कहा, 'नवाज साहेब, ये आपने क्या किया? हमने इतने अच्छे माहौल में बातचीत की और मेरे लौटते ही आपकी आर्मी ने हम पर अटैक कर दिया. लाहौर में 21 तोपों की सलामी दिए जाने के बाद पीठ में छुरा घोंपा गया. इसके जवाब में नवाज ने अटल जी से कहा, 'मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है.'
नवाज शरीफ ने अपनी बायोग्रफी 'गद्दार कौन? नवाज शरीफ की कहानी उनकी जुबानी' में दावा किया है कि उस समय के तत्कालीन सेना प्रमुख रहे परवेज मुशर्रफ ने उनकी मंजूरी के बिना ही भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध छेड़ दिया था और उन्हें इसकी भनक भी नहीं थी. नवाज शरीफ को इसके बारे में अटल बिहारी वाजपेयी के फोन कॉल के माध्यम से ही पता चला था.
संसद में कविता के जरिए किया था कारगिल वार का जिक्र
अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में अपने भाषण के दौरान एक कविता के जरिए कारगिल युद्ध का जिक्र करते हुए कहा था, 'धमकी जिहाद के नारों से हथियारों से, कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो. हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से, भारत का शीश झुका लोगे यह मत समझो.'