कर्नाटका में जाति जनगणना रिपोर्ट से तहलका: पिछड़े समुदायों के लिए 51% आरक्षण का बड़ा प्रस्ताव!
कर्नाटक की जाति जनगणना रिपोर्ट में बड़ी सिफारिश की गई है – राज्य के शैक्षिक संस्थानों में पिछड़े समुदायों के लिए 51% आरक्षण! रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि राज्य की पिछड़ी जातियों की आबादी 70% है. क्या यह कदम कर्नाटक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बदलने वाला है? जानिए पूरी कहानी और इस बदलाव के पीछे की वजह! क्या होगा अगला कदम? पढ़िए रिपोर्ट की 10 अहम बातें और जानिए इसके पूरे प्रभाव को.

Karnataka Caste Census Report: कर्नाटक की जाति जनगणना रिपोर्ट ने राज्य के सामाजिक और शैक्षिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना जताई है. रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि राज्य के शैक्षिक संस्थानों में पिछड़े समुदायों (BCs) के लिए 51% आरक्षण दिया जाए. यह सिफारिश राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को फरवरी 2024 में सौंपी गई थी और यह कर्नाटक के शैक्षिक और राजनीतिक संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
जाति जनगणना रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि राज्य में पिछड़े समुदायों की आबादी लगभग 70% है. वर्तमान में इन समुदायों को 32% आरक्षण मिलता है, लेकिन रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि इसे बढ़ाकर 51% किया जाए. यह सिफारिश राज्य के शैक्षिक संस्थानों में पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण को लेकर की गई है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट में तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण भी दिया गया है, जहां पिछड़े समुदायों की आबादी के हिसाब से क्रमशः 69% और 77% आरक्षण दिया जा रहा है. ऐसे में कर्नाटक की रिपोर्ट का यह प्रस्ताव राज्य की पिछड़ी जातियों के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
आरक्षण के आंकड़े और वर्गीकरण
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछड़ी जातियों की जनसंख्या को छह श्रेणियों में बांटा गया है:
1 ए श्रेणी: 34,96,638 लोग
1 बी श्रेणी: 73,92,313 लोग
2 ए श्रेणी: 77,78,209 लोग
2 बी श्रेणी: 75,25,880 लोग
3 ए श्रेणी: 72,99,577 लोग
3 बी श्रेणी: 1,54,37,113 लोग
इस तरह, इन सभी श्रेणियों को मिलाकर कुल पिछड़े समुदायों की संख्या 4,16,30,153 है. वहीं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या क्रमशः 1,09,29,347 और 42,81,289 बताई गई है. इस सैंपल सर्वे में कुल 5,98,14,942 लोगों की जनसंख्या का अध्ययन किया गया है.
कर्नाटक सरकार की पहल और भविष्य की दिशा
यह रिपोर्ट कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े द्वारा पूरी की गई और 2015 में एच कंथराज द्वारा इस सर्वे की शुरुआत की गई थी. कर्नाटक सरकार के लिए यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि इससे राज्य के पिछड़े समुदायों के बीच सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर असमानता को दूर करने में मदद मिल सकती है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस रिपोर्ट को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और आने वाले दिनों में इस पर और विचार किया जाएगा.
क्या होगा अगला कदम?
जाति जनगणना रिपोर्ट ने राज्य सरकार को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं और अब यह देखा जाएगा कि सरकार इस सिफारिश को कैसे लागू करती है. अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो कर्नाटक देश के उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जो पिछड़े समुदायों के लिए बड़े आरक्षण देने की दिशा में काम कर रहे हैं. यह न केवल शैक्षिक संस्थानों में बल्कि नौकरी के अवसरों में भी बड़े बदलाव का कारण बन सकता है.