आरक्षण पर कर्नाटक में यू-टर्न, हरियाण-बिहार से मिली सीख मंत्री ने बताया अब क्या है सरकार की मंशा

Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों को नौकरी पर आरक्षण देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हालांकि, व्यापारियों द्वारा इस बिल पर विरोध जताए जाने के बाद राज्य सरकार ने अब प्राइवेट जॉब में आरक्षण बिल को अस्थायी रूप से रोक दिया है. सरकार ने ये फैसला बिहार और हरियाणा से सबक लेते हुए लिया है. बिल के रोक पर मंत्री प्रियांक खड़गे ने सरकार की मंशा भी बताई है.

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Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने प्राइवेट जॉब में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण देने के फैसले को पूरी तरह से रोक दिया गया है. व्यापारियों ने सिद्धारमैया सरकार के इस विधेयक को पेश करने के कदम पर विरोध जताया है. इसके बाद राज्य सरकार अब बिल पेश करने के फैसले से पीछे हट गई है. राज्य मंत्रालय ने कहा कि आने वाले दिनों में इस मामले की फिर से समीक्षा की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा.

इस संबंध में सीएम कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर मीडिया को एक बयान जारी किया है. जिसमें कहा कि हम कन्नड़ आरक्षण विधेयक की समीक्षा करेंगे. सीएम सिद्धारमैया, डीसीएम डीके शिवकुमार, मंत्री प्रियांक खड़गे, एमबी पाटिल, संतोष लाड और चारों विभागों के अधिकारियों से सलाह ली जाएगी. जानकारी के उचित आदान-प्रदान के बिना कैबिनेट में भ्रम की स्थिति पैदा की गई है.' इसलिए, इस सत्र में बिल पेश नहीं करने का निर्णय लिया गया है. 

कर्नाटक आरक्षण बिल पर लगी रोक

सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य में निजी फर्मों में गैर-प्रबंधन भूमिकाओं के लिए 70 प्रतिशत और प्रबंधन-स्तर के पदों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा तय की गई. इसके बाद कुछ कंपनियों ने सोशल मीडिया पर इस बिल का विरोध जताया. किरण मजूमदार, मोहन दास पई समेत कई व्यवसायियों ने राज्य सरकार की कार्रवाई पर नाराजगी जताई.

कई लोगों ने बिल पर जताई आपत्ति

इस तरह के कदम से आईटी इंडस्ट्री के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. व्यवसायियों ने आपत्ति जताई कि उद्योग में गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान करना एक समस्या होगी. कुछ लोगों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि यह भेदभावपूर्ण बिल है. साथ ही कुछ आईटी-बीटी भी सरकार को दिए गए. ऐसे में व्यापारिक क्षेत्र की आपत्तियां सुनने के बाद सतर्क सिद्धारमैया सरकार ने आरक्षण बिल लाने का फैसला वापस ले लिया है.

पहले भी दो राज्यों में लिए गए ऐसे फैसले

कर्नाटक सरकार ने ही नहीं बल्कि हरियाणा और बिहार में भी इस तरह के फैसले लिए जा चुके हैं. कर्नाटक का कोटा विधेयक शायद कानून की कसौटी पर खरा न उतर पाए. दरअसल बिहार सरकार को हाईकोर्ट का झटका पिछले महीने लगा था. जब पटना हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों
में राज्य द्वारा तय 65 फीसदी आरक्षण की सीमा को खारिज कर दिया.  हरियाणा सरकार को भी लगा ऐसा ही झटका लगा था. 

मंत्री प्रियांक खड़गे ने बताई मंशा

कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने इस पर कहा कि कर्नाटक सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए कर्नाटक राज्य रोजगार विधेयक 2024 के माध्यम से अधिकांश कन्नड़ लोगों को निजी क्षेत्र में अवसर दिया जाए. 


First Updated : Thursday, 18 July 2024