Karnataka: धर्मांतरण विरोधी कानून पर सियासी बवाल, कानून को रद्द करने की तैयारी में कांग्रेस
Anti-Conversion Law: सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार बीजेपी की सरकार में लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की तैयारी कर रही है। कैबिनेट की बैठक में इस कानून पर चर्चा की गई थी।
Anti-Conversion Law: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से बीजेपी की पिछली सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में बीजेपी के कार्यकाल के दौरान लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई थी। विधानसभा के आगामी सत्र में सरकार इस कानून को रद्द करने के लिए एक बिल लाएगी।
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्व की बीजेपी सरकार के समय लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की न सिर्फ योजना बना ली है, बल्कि कर्नाटक कैबिनेट ने इस पर अपनी मुहर भी लगा दी है। अब इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी ने कांग्रेस के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है।
बता दें कि पिछले साल बोम्मई के नेतृत्व वाली कार्नाटक सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आई थी। उस दौरान कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर इस कानून का विरोध किया था। कर्नाटक सरकार ने पिछले साल दिसंबर में विधानसभा से ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित करा लिया था, लेकिन विधान परिषद में बहुमत न होने की वजह से यह बिल पारित नहीं हो पाया था। इसके बाद बिल को प्रभाव में लाने के लिए सरकार को मई में अध्यादेश लाना पड़ा था।
उस वक्त कर्नाटक के तत्कालीन गृह मंत्री ने कहा था कि राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम हो गई हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ये कानून लाया गया है। उन्होंने कहा था कि ये किसी की धार्मिक आजादी नहीं छिनता है। कोई भी व्यक्ति अपने अनुसार कोई भी धर्म चुन सकता है, लेकिन बिना किसी दबाव अथवा प्रलोभन के।
सरकार जनता के हितों को खतरे में डाल रही है-बोम्मई
कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून खत्म करने के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर हमला किया। पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, "धर्मांतरण ने हमारे समाज की नाक में दम कर रखा था। सरकार ऐसे धर्मांतरण विरोधी विधेयक को रद्द करने का फैसला कर किसे खुश करने चाहती है? उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाईकमान की दया से राज्य पर शासन करने वाले सिद्धारमैया प्रदेशवासियों के हितों को खतरे में डाल रहे हैं।"