Kasthuri Shankar's Controversial Statement: कस्तूरी शंकर, जो अपनी धारावाहिकों में नरम स्वभाव के लिए पहचानी जाती हैं, असल जिंदगी में अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं. हाल ही में उन्होंने तमिलनाडु में तेलुगु लोगों के ऐतिहासिक संदर्भ पर एक टिप्पणी दे कर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है.
उनका कहना था कि तमिलनाडु में तेलुगु लोग उन महिलाओं के वंशज हैं, जो कभी राजाओं की सेवा करती थीं, यानी वह वेश्याएं थीं. उनके इस बयान ने तुरंत ही विवाद को जन्म दिया, खासकर तेलुगु समाज के लोगों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया मिली है.
विवाद का कारण बने कस्तूरी शंकर के बयान
कस्तूरी शंकर ने यह बयान तमिलनाडु भाजपा के वरिष्ठ नेताओं अर्जुन संपत और गुरुमूर्ति द्वारा आयोजित एक बैठक में दिया. उन्होंने दावा किया कि 300 साल पहले जो लोग राजाओं के हरम में काम करते थे, वे तेलुगु लोग थे. उनका यह बयान ऐतिहासिक तथ्यों से परे और भ्रामक प्रतीत हुआ जो सीधे तौर पर तेलुगु लोगों की अस्मिता और इतिहास पर सवाल उठाता है.
तेलुगु समाज की प्रतिक्रिया
कस्तूरी के इस बयान ने तेलुगु समाज को नाराज कर दिया है. कई तेलुगु संगठनों और लोगों ने उनके बयान को आक्रामक और गलत ठहराया है. उनका कहना है कि कस्तूरी शंकर ने बिना सही जानकारी के ही इतिहास पर टिप्पणी की और इससे पूरी तेलुगु जाति का अपमान हुआ है. इस बयान के बाद तेलुगु समाज ने कस्तूरी से माफी मांगने की मांग की है, साथ ही चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अपना बयान वापस नहीं लिया तो उन्हें कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है.
कस्तूरी शंकर का जवाब
कस्तूरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनका बयान किसी भी तरह से तेलुगु संस्कृति या तेलुगु लोगों को लेकर नकारात्मक नहीं था. कस्तूरी ने यह भी कहा कि उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और उन्होंने यह भी दावा किया कि डीएमके तंत्र उनके बयान को गलत तरीके से पेश कर रहा है. कस्तूरी ने यह कहा कि 'सभी तेलुगु लोग मेरे परिवार की तरह हैं और मैंने कभी भी उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं किया था.'
कानूनी और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस विवाद को लेकर तेलुगु समुदाय ने कस्तूरी के बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं. उन्हें यह भी कहा गया है कि वे माफी मांगें और इस बयान को वापस लें, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
कस्तूरी शंकर के बयान ने ना केवल तेलुगु समाज को बल्कि पूरे देश को चौंका दिया है. इस विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर दिए गए बयान किस हद तक लोगों के बीच विवाद और कड़वाहट पैदा कर सकते हैं. अब यह देखना होगा कि कस्तूरी इस विवाद का सामना कैसे करती हैं और क्या वह अपनी टिप्पणी पर माफी मांगती हैं या नहीं.
इस पूरे मामले ने यह भी दिखाया है कि किसी भी ऐतिहासिक संदर्भ पर टिप्पणी करते समय तथ्यात्मक जानकारी की अहमियत कितनी होती है और बिना सोचे-समझे किसी भी बयान से कैसे सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है. First Updated : Tuesday, 05 November 2024