Kerala: केंद्र के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेगी केरल सरकार, सीएम पिनाराई विजयन करेंगे नेतृत्व
Kerala: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार 8 फरवरी को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी. इसका उद्देश्य केंद्र द्वारा केरल और अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों की कथित वित्तीय उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करना है.
Kerala Chief Minister To Lead Protest Against Centre At Jantar Mantar: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार 8 फरवरी को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी. विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य केंद्र द्वारा केरल और अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों की कथित वित्तीय उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करना है. सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने इसकी जानकारी दी है. अपने बयान में उन्होंने दावा किया कि यह कदम केवल केरल के मुद्दों के बारे में नहीं है, बल्कि अन्य गैर-भाजपा राज्यों द्वारा साझा की गई व्यापक चिंता का प्रतिनिधित्व है.
राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री विजयन ने सभी गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर विरोध के लिए समर्थन मांगा है, जिसमें राज्य की स्वायत्तता पर कथित अतिक्रमण और केंद्र द्वारा लगाए गए वित्तीय बाधाओं पर चिंताओं को उजागर किया गया है.
'राजनीति के लिए किया जा रहा है मंदिर का निर्माण'
सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने बताया कि भाजपा उत्तेजक तरीके से हिंदुत्व के एजेंडे को जारी रख रही है और देश इस विश्वास का राजनीतिकरण करने का सांप्रदायिक दृष्टिकोण देख रहा है. सही धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण यह है कि सभी व्यक्तियों को अपने धर्म में विश्वास करने और उसका प्रचार करने का अधिकार मिलना चाहिए." अपने बयान में एमवी गोविंदन ने कहा कि आज के परिदृश्य में मंदिर निर्माण को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है. यह एक अधूरा राम मंदिर है जिसका उद्घाटन यहां किया जा रहा है.
'किसी भी कीमत पर हम ये स्वीकार नहीं करेंगे'
भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए एमवी गोविंदन ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव से पहले इस राम मंदिर को एक चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस चालाकी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि शंकराचार्यों ने यह रुख अपनाया है कि यह उनकी आस्था और रीति-रिवाजों के खिलाफ है. वे यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह विश्वासियों को खुश करने का एक चुनावी उपकरण है, भले ही यह विश्वास के खिलाफ है. हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि किसी भी समय हम किसी की आस्था के खिलाफ नहीं हैं.