केरल का पावर कपल: ब्यूरोक्रेसी पहली बार, पति-पत्नी की जोड़ी का असाधारण संयोग
Kerala News: केरल में अगले कुछ दिनों में अगली मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन अपना पदभार ग्रहण करने वाली है. वो इस कुर्सी पर बैठने वाले 49वीं अधिकारी है. उनको ये मौका मौजूदा चीफ सेक्रेटरी डॉ. वी. वेणु के रिटायरमेंट के बाद मिल रहा है. पर इन दोनों अधिकारियों को संबंध के कारण देश की ब्यूरोक्रेसी में असाधारण संयोग बन रहा है. बुधवार को कैबिनेट ने शारदा की मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्ति पर मुहर लगाई है.
Kerala News: अगले कुछ दिनों यानी 31 अगस्त को केरल के मौजूदा चीफ सेक्रेटरी डॉ. वी. वेणु रिटायर हो रहे हैं. इससे पहले केरल सरकार ने 49वें मुख्य सचिव को लेकर फैसला कर लिया है. कैबिनेट की बैठक में शारदा मुरलीधरन की नियुक्ति को लेकर फैसला हुआ है. यानी वो प्रदेश की प्रशासनिक कमान 31 अगस्त को संभाले लेंगी. इसी दिन प्रदेश में असाधारण मौका बनने जा रहा है. ऐसे ब्यूरोक्रेसी पहली बार होगा. इसी कारण अब इन दोनों अधिकारियों की चर्चा देश में हो रही है. आइये जाने ये मौका असाधारण क्यों है और ये अधिकारी कौन हैं?
केरल की ब्यूरोक्रेसी पहली बार में यह पहली बार है जब एक IAS कपल बिना किसी गैप के लगातार मुख्य सचिव बनने जा रहा है. हालांकि, इससे पहले IAS कपल ने मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन उनका कार्यकाल लातार नहीं था. इसी कारण अब इस कपल की चर्चा देश में हो रही है.
1990 बैच के IAS अधिकारी
केरल का ये पावर कपल यानी वी वेणु और सारदा मुरलीधरन 1990 बैच के IAS अधिकारी हैं. शारदा इन दिनों लोकल सेल्फ गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में अतिरिक्त मुख्य सचिव की जिम्मेदारी में हैं. उन्होंने 2006 से 2012 के दौरान यानी 6 साल के लिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी गरीबी उन्मूलन स्कीम कुदुंबश्री मिशन का नेतृत्व किया था. प्रदेश में उन्हें महिला सशक्तिकरण से जुड़ी कई योजनाओं की भी जिम्मेदारी के लिए भी जाना जाता है.
केंद्र की प्रति नियुक्ति
फिलहाल साल 2013 में शारदा केंद्र की प्रति नियुक्ति पर थी. तब उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतरगत आने वाले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में काम किया था. अगले दो साल उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के रूप में काम किया. यहां उन्होंने ग्राम पंचायत विकास योजनाओं की संकल्पना के काम अपने हाथों में लिया. उन्होंने ग्राम सभा के माध्यम से नागरिकों की भागीदारी पर जोर दिया गया था.