नीति आयोग के इंडेक्स में केरल-उत्तराखंड का बेहतरीन प्रदर्शन, लिस्ट में बिहार सबसे पीछे

भारत का एसडीजी स्कोर 2020-21 में 66 अंक से बढ़कर 2023-24 में 71 अंक हो गया है.  नीति आयोग के एसडीजी इंडिया में केरल ने अपना पहला स्थान कायम रखा है लेकिन बिहार ने सबसे खराब प्रदर्शन किया जिस वजह से सबसे पिछड़े राज्य में चुना गया है.

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नीति आयोग के एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 में राज्यों में उत्तराखंड और केरल ने पहला स्थान हासिल किया है, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के आधार पर राज्यों में सतत विकास का आकलन करता है.  कुल मिलाकर, भारत का एसडीजी स्कोर 2020-21 में 66 अंक से बढ़कर 2023-24 में 71 अंक हो गया है. गरीबी उन्मूलन सम्मानजनक कामकाज के अवसर मुहैया कराने, आर्थिक वृद्धि, जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्रवाई और जमीनी इलाकों में जीवन पर महत्वपूर्ण से प्रदर्शन सुधार है.

एसडीजी इंडिया इंडेक्स 1 से 100 के पैमाने पर 16 लक्ष्यों में हुई प्रगति का मूल्यांकन करता है. ने केरल और उत्तराखंड को 79 अंकों के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में दर्जा दिया है. जबकि बिहार 57 अंकों के साथ पिछड़े राज्य के रूप में उभरा है. बिहार के बाद झारखंड का स्थान है. 2020-21 के अंकाड़ों की तुलना में नीति आयोग द्वारा जारी सुचकांच के आधार पर पंजाब, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और असम में क्रमशः 8 अंक की उच्चतम वृद्धि 76, 72, 70 और 65 अंक दर्ज की गई. 

नीति आयोग के लिस्ट में टॉप पर ये राज्य

नीति आयोग के लिस्ट में उत्तराखंड और केरल 79 अंकों के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य बनकर उभरे हैं. इनके तमिलनाडु और गोवा का स्थान है. दूसरी तरफ बिहार, झारखंड और नागलैंड इस वर्ष के सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य बनकर उभरा है. वहीं केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें तो चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, पद्दूचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली शीर्ष पांच में शामिल किए गए हैं.

क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट

नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में बुनियादी अस्तित्व अब कोई मुद्दा नहीं है. बहुआयामी गरीबी में काफी कमी आई है. पिछले दस वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं. बिना किसी संदेह के, भारत वैश्विक एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है, ”सरकार के नीति थिंक-टैंक नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा. 2015-16 और 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी लगभग आधी होकर 24.8% से 14.96% हो गई। 2022-23 में बहुआयामी गरीबी और गिरकर 11.28% होने की संभावना है.  2013-14 और 2022-23 के बीच 24.8 करोड़ (248 मिलियन) लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल जाएंगे.

First Updated : Saturday, 13 July 2024