G20 Summit: अमिताभ कांत कौन हैं, जिनको दिया जा रहा है जी-20 की सफलता का क्रेडिट?
G20 Summit: अमिताभ कांत एक भारतीय ब्यूरोक्रेट्स हैं, इससे पहले वह नीति आयोग के सीईओ के पद पर काम कर चुके हैं. भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन 2023 के वह शेरपा हैं.
हाइलाइट
- भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन रहा सफल.
- दिल्ली घोषणापत्र पर दुनिया के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति.
- पीएम मोदी ने सहमति को लेकर सभी नेताओं को धन्यवाद कहा.
G20 Summit: भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन का शानदार समापन हुआ. इस सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पहुंचे दुनिया के शीर्ष नेताओं के लिए खास तैयारियां की गई थी. जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही दिल्ली घोषणापत्र पर आम सहमति बनी. इसके बाद से ही जी20 शेरपा अमिताभ कांत (Amitabh Kant) की काफी चर्चा हो रही है. जी20 की सफलता को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने भी अमिताभ कांत की काफी तारीफ की.
कौन हैं अमिताभ कांत?
आपको बता दें कि अमिताभ कांत एक भारतीय ब्यूरोक्रेट्स हैं, इससे पहले वह नीति आयोग के सीईओ के पद पर काम कर चुके हैं. भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन 2023 के वह शेरपा हैं. जी 20 के शेरपा अमिताभ कांत को पिछले साल जुलाई में नियुक्त किया गया था और उन्हें यह जिम्मेदारी भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलने के कुछ महीने पहले दी गई. केरल कैडर के 1980-बैच के रिटायर आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत को बड़ी पहलों - स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, इनक्रेडिबल इंडिया में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है.
'कई दिनों तक बातचीत के बाद बनी सहमति'
दिल्ली घोषणापत्र पर बनी आम सहमति की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी. हाल ही मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि "ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने हमेशा भारत के साथ मिलकर काम किया. उभरते देशों ने अहम भूमिका निभाई. इस क्रम में कई दिनों तक बिना रुके बातचीत चलती रहीं. एक बेहतरीन टीम वर्क ने हमें उस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में मदद की जिस पर दुनिया आम सहमति से बचती रही है."
जी20 शेरपा को मिली सफलता
गौरतलब है कि जी 20 का शेरपा बनाए जाने के बाद अमिताभ कांत का काम घरेलू मोर्चे पर तात्कालिक कार्य अधिकारियों, सलाहकारों और डोमेन विशेषज्ञों की एक टीम गठन करना था, इसके साथ ही राजनयिक कार्यक्रम की तैयारी शुरू करने के लिए विभिन्न हितधारकों को शामिल करना था. वैश्विक मंच पर, उनकी प्राथमिकताएं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर ध्रुवीकृत दुनिया में देश के हितों को ध्यान में रखना था और इसको उन्होंने सफलतापूर्वक हासिल भी किया.