योगी के जन्मदिवस पर जानिए अजय बिष्ट की संघर्ष की दास्तां
आज पूरे देश में अगर कहीं भी कोई अपराध होता है, दंगा होता है अथवा किसी भी प्रकार से कानून व्यवस्था में कोई दुविधा आती है तो लोग ये कहते हुए पाए जाते हैं कि हमारे राज्य में भी योगी मॉडल की जरूरत है।
हाइलाइट
- जो कभी संसद में रोया, वो आज माफियाओं को रुला रहा
आज पूरे देश में अगर कहीं भी कोई अपराध होता है, दंगा होता है अथवा किसी भी प्रकार से कानून व्यवस्था में कोई दुविधा आती है तो लोग ये कहते हुए पाए जाते हैं कि हमारे राज्य में भी योगी मॉडल की जरूरत है। उत्तर प्रदेश जैसा राज्य जो कभी दंगा और माफियागिरी के लिए जाना जाता था आज वो पूरे देश के लिए कानून व्यवस्था के मामले में एक मॉडल बन गया है। योगी आदित्यनाथ जिस दिन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं उस दिन से लेकर आज तक गुंडे, मवाली, माफिया, चोर, उचक्के आदि लगातार पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर रहे है। न जाने कितने प्रदेश छोड़कर भाग चुके हैं और न जाने कितनों का इनकाउंटर हो चुका है। जिस मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की छवि को बदला और कानून व्यवस्था के मामले में मॉडल स्थापित कर दिया। आइए आज उसके जन्मदिवस के अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के उन पहलुओं के बारे में जिसने उन्हें सामान्य से इतना खास बना दिया अर्थात अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ और योगी से बुलडोजर बाबा।
51 साल के हुए योगी
योगी आदित्यनाथ का जन्म अविभाजित उत्तर प्रदेश के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में 5 जून 1972 को हुआ था। इनके पिता आनंद सिंह बिष्ट एक फॉरेस्ट रेंजर और इनकी माता सावित्री देवी ग्रहणी हैं। योगी आदित्यनाथ 7 भाई बहन हैं जिनमें वे अपनी माता-पिता की पांचवीं संतान हैं। योगी शुरुआत से ही कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी रहे हैं। इन्होंने गणित विषय से स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की है।
अजय सिंह बिष्ट कैसे बने योगी आदित्यनाथ
1993 में गणित से स्नातकोत्तर की शिक्षा के दौरान वे गुरु गोरखनाथ पर शोध के लिए गोरखपुर आए जहां वे चाचा महंत अवैद्यनाथ के शरण में ही चले गए और उनसे दीक्षा ले ली। दीक्षा लेने के उपरान्त सन् 1994 में वे पूर्ण सन्यासी बन गए जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से बदलकर योगी आदित्यनाथ हो गया। आगे चलकर 12 सितंबर 2014 को इन्हें पूर्व महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया और इसके 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बना दिया गया ।
राजनीति में एंट्री
शिक्षा के दौरान ही योगी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से राजनीति के इर्द-गिर्द ही मौजूद थे। हालांकि राजनीति के क्षेत्र में उनकी औपचारिक एंट्री सन् 1998 में हुई जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी से सांसदी का टिकट मिला। 1998 में वे गोरखपुर से सांसद बनकर संसद भवन गए जहाँ वे उस वक्त के सबसे कम उम्र के सांसद थे। उसके बाद 1999 में उन्हें गोरखपुर की जनता ने फिर से अपना सांसद बनाया। 2002 में योगी ने युवा वाहिनी का गठन किया। वर्ष 2004, 2009 और 2014 में वे लगातार अच्छी खासी वोटों से गोरखपुर को लोकसभा सीट पर काबिज रहे। 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड बहुमत के बाद 19 मार्च 2017 को उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री के रूप में योगी को शपथ दिलाई गई ।
जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे योगी
वैसे तो योगी आदित्यनाथ कई मामलों में विवादों में घिरे रहे हैं लेकिन इनमें से सबसे विवादित वाकया वो है जब 7 सितंबर 2008 को उनके ऊपर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वे बाल बाल बचे। इस हमले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें हमलावरों ने 100 से अधिक वाहनों को घेर लिया और अनेक लोगों को लहूलुहान कर दिया।
जब संसद में फफक कर रोए योगी
वर्ष 2006 में गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ संसद भवन में स्पीकर के समक्ष अपनी बात रखते हुए भावुक हो गए। वे भरी सभा में फफक-फफक कर रोने लगे। जिसका वीडियो आज भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल होता है। उन्होंने अपने ऊपर हो रहे जानलेवा हमले और पुलिस की प्रताड़ना का जिक्र करते हुए कहा था कि प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार उन्हें चैन से जीने नहीं दे रही है। संसद के सामने प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए योगी ने रुदन भरे स्वर में कहा था की मैं इस सदन का सदस्य हूँ, क्या यह सदन मुझे सुरक्षा नहीं दे सकता।
योगी का जनता दरबार
गोरखपुर के महंत बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में एक दरबार लगाते आ रहे हैं जिसमे फरियादी उनके पास न्याय की गुहार लगाने आते हैं । सांसद बनने के बाद और फिर वर्तमान में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार का सिलसिला यूँ ही अनवरत जारी है। योगी आदित्यनाथ के इस दरबार में सभी धर्म मजहब और जाति के लोग न्याय मांगने आते है। लोगों का कहना है की उनकी समस्याओं का समाधान भी यहाँ होता है।
हिंदुत्ववादी मुख्यमंत्री
वर्ष 2005 के आसपास योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिंदू के रूप में रही है। आज भी उस समय के वायरल वीडियोज़ में उन्हें हिन्दुत्व के प्रणेता के रूप में देखा जा सकता है। योगी भगवा वस्त्र धारण करते हैं और हमेशा ही हिंदू संस्कृति, सभ्यता और हिंदुत्व पर गर्व करने की बात करते हैं इस वजह से योगी को हिंदुत्ववादी मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी का ऐसा कोई भी फैसला देखने को नहीं मिला जो किसी एक मजहब या जाति पर आधारित हो।
ठाकुरवाद के लगते आए हैं आरोप
योगी आदित्यनाथ ठाकुरवाद करने के आरोप लगातार लगते आए हैं। चाहे वे असदुद्दीन ओवैसी हो, स्वामी प्रसाद मौर्या या अखिलेश यादव विपक्ष के तमाम नेताओं ने योगी पर एक जाति विशेष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हम आपको बता दें, योगी जन्म से राजपूत है लेकिन हिंदू परंपरा के मुताबिक सन्यासी चोला धारण करने के बाद वे अब किसी भी जाति से ताल्लुक नहीं रखते।
बुलडोजर बाबा के रूप में बनाई छवि
2022 के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की रैलियों में बुलडोजरों का पहुंचना आम बात हो गई थी। कुछ वायरल वीडियोज़ में भी योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों में बुलडोजर को देखकर मुस्कुराते हुए नजर आ रहे थे। यूपी में योगी की सरकार बनने के बाद से ही लगातार अवैध अतिक्रमण और माफियाओं की प्रॉपर्टीज़ पर बुलडोजर चल रहे हैं। इस सरकार में जितने बुलडोजर चले हैं इससे पहले बुल्डोजर का इतना प्रयोग किस सरकार ने किया था ये शायद ही किसी को पता हो। इसी के चलते योगी आदित्यनाथ की छवि बुलडोजर बाबा के रूप में भी देखी जाती है। इस छवि को उनके समर्थक खूब पसंद भी करते हैं।