What Is Cyber Slavery: दुनियाभर में साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. स्कैमर्स आए दिन नए-नए तरीके से लोगों को अपने जाल में फंसा रहे रहे हैं. इस बीच साइबर स्लेवरी (Cyber Slavery) की चर्चा चारों-ओर हो रही है. हाल ही में कंबोडिया में 5000 से अधिक भारतीय साइबर गुलामों को बचाने की रणनीति बनाई जा रही है. इन सभी लोगों को अपना गुलाम बनाकर साइबर घोटाले करने के लिए मजबूर किया जाता है. कंडोबिया में भारतीय लोगों को गुलाम बनाकर उनसे ही साइबर फ्रॉड करवाया जा रहा है, इसे ही साइबर स्लेवरी कहा जाता है.
कंडोबिया में भारतीय लोगों से नौकरी का झांसा देकर साइबर गुलामी कराई जा रही है. डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेक्नोलॉजी के माध्यम से व्यक्तियों का शोषण किया और उनके साथ जबरदस्ती कोई अपराध करवाया जाता है. इस शोषण में जबरन श्रम, मानव तस्करी, यौन शोषण और उन्हें गुलाम करना शामिल हैं. साइबर गुलामी में, अपराधी को भर्ती करने, कंट्रोल करने और उनका शोषण करने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया जाता है. जाल में फंसने के बाद पीड़ितों को अक्सर उनकी इच्छा के विरुद्ध अलग-अलग काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.
जानकारी के अनुसार साइबर फ्रॉड करने वाले कंबोडिया में एक बड़ा ग्रुप चलाते हैं. इस गैंग में मलेशिया, चीन, वियतनाम, म्यांमार के लोग शामिल हैं. ये लोग मिलकर भारतीयों को नौकरी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन भर्ती करते हैं. फिर ठगों के जाल में जो फंस जाता है वो कंबोडिया में नौकरी करने जाता है. वहां पर ग्रुप ऐसे लोगों को मजबूर करके काम फ्रॉड करवाते हैं.
इस मामले को देखते ही हुआ गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय साइबर अपराध के प्रमुखों ने एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में कंबोडिया में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए और वापस लाने के लिए एक रणनीति बनाई जा रही है. जानकारी के अनुसार धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के मालिक हमेशा चीनी नागरिक होते हैं. कंपनियां लोगों से उनके पासपोर्ट भी ले लेती है. First Updated : Saturday, 30 March 2024