Ajmer Rape Case: अजमेर रेप और ब्लैकमेल कांड के बाकी बचे 6 आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया है. मंगलवार को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी माना है. दोषी ठहराए जाने के कुछ देर बाद अदालत ने सजा का भी ऐलान कर दिया और सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 32 साल पहले यानी 1992 की इस घटना में कुल आरोपियों की तादाद 18 थी. इन 18 में से 9 को अदालत की तरफ से सजा सुनाई जा चुकी है. वहीं एक आरोपी ने खुदकुशी कर ली थी. इसके अलावा एक आरोपी अभी तक फरार चल रहा है.
अपनी रूहानी आबो-हवा के लिए पहचाने जाने वाले राजस्थान के अजमेर में 32 साल पहले एक ऐसी घटना से पर्दा उठा था जिसने देश को शर्मसार कर दिया था. 21 अप्रैल 1992 को एक अखबार ने ऐसा पर्दाफाश किया कि सभी की आंखें खुली रह गईं. आज के इंटरनेट और डिजिटिल युग से दूर उस वक्त के लोग खबरों के लिए अखबार पर निर्भर रहते थे. 'दैनिक नवज्योति' नाम का अखबार लगातार इस खबर को अपने यहां जगह दे रहा था. हालांकि कुछ लोग इसको सीरियस नहीं ले रहे थे.
15 मई को फिर से एक खबर छपती है जिसमें इन लड़कियों की धुंधली सी तस्वीरें भी प्रकाशित की गई थीं. इन तस्वीरों में दिखाने की कोशिश की गई थी कि किस तरह उनके जिस्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. तस्वीरों में कुछ लोग उनके साथ आपत्तिजनक हालत में नजर आ रहे थे. एक खबर के मुताबिक अखबार ने दो दिनों तक लगातार ये तस्वीरें छापीं. हर दिन नई तस्वीरों के साथ अखबार ने अपना काम जारी रखा और लोगों के बीच तस्वीरें चर्चा का विषय बन गईं. हालत ऐसी हो गई थी कि उस वक्त के राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरों सिंह की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा था.
एक जानकारी के मुताबिक 200 से 300 के करीब लड़कियां का को इसका शिकार बनाया गया था. हैरानी बात यह है कि आरोप नफीस चिश्ती और फारूक चिश्ती पर लगा था. ये दोनों शहर के सबसे रईस और ताकतवर खानदानों में से एक चिश्ती परिवास से संबंध रखते थे. चिश्ती परिवार अजमेर दरगाह के केयरटेकर यानी खादिमों में से है. कहा जाता है कि 90 के दशक में इस परिवार के पास इतना पैसा था कि ये लोग खुली जीप, एम्बेसडर जैसी बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमा करते थे. First Updated : Tuesday, 20 August 2024