दुनिया भर में फंगल डिजीज (Fungal Disease) महामारी का रूप ले चुकी है. करोड़ों की संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. फंगल डिजीज की वजह से दुनिया भर में हर साल 38 साल से अधिक लोगों की मौत हो रही है. जो दुनिया में कुल मौतों का 6.8 फीसदी हिस्सा है. फंगल डिजीज दुनिया के साथ ही भारत के लिए भी बड़ा खतरा है. एक शोध के अनुसार करीब 6 करोड़ से भारतीय इस बीमारी से प्रभावित हैं. भारत शोधकर्ता और द यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है.
द यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं के अनुसार, साल 2012 में एक शोध में अनुमान लगाया गया कि दुनिया भर में हर साल लगभग 20 लाख लोगों की फंगल इन्फेक्शन से मौत हो रही है. लेकिन यही अनुमान साल 2024 में करीब-करीब दोगुना हो गया. नए अनुमान के अनुसार फंगल इनफेक्शन से हर साल दुनिया भर में 38 लाख लोगों की मौत हो रही है.
यह आंकड़ा दुनिया भर में होने वाली मौतों का 6.8% है, जबकि ह्दय धमनी रोग से मरने वालों का प्रतिशत दुनिया की कुल मौतों का 16% है. इसके बाद स्ट्रोक का कुल मौतों में 11% हिस्सा है. धूम्रपान से संबंधित फेफड़ों की बीमारी (COPD) से कुल मौतों की 6% मौत होती है. शोधकर्ताओं ने "लांसेट इन्फेक्शन्स डिसीज" जर्नल में पिछले 15 सालों में प्रकाशित आंकड़ों का विश्लेषण किया, और इसके आधार पर वह इस नतीजे पर पहुंचे हैं. शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि पिछले 10 से 15 वर्षों में फंगल रोग निदान में काफी सुधार हुआ है. इसके बावजूद यह हाल है.
शोध में भारत के तीन अस्पतालों नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पश्चिम बंगाल के एम्स कल्याणी और चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के साथ-साथ मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल थे. इन्होंने शोध परिणाम में पाया कि भारत में रहने वाले 1.4 अरब लोगों में से 5.7 करोड़ मतलब कि 4.4 प्रतिशत लोग फंगल इन्फेक्शन से प्रभावित हैं.
ओपन फोरम इंफेक्शियस डिजीज नामक पत्रिका में 400 से अधिक प्रकाशित अकादमिक लेखों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला कि वेजाइनल या योनी से संबंधित छालों जिसे (यीस्ट संक्रमण भी कहते हैं) से प्रजनन आयु की लगभग 2.4 करोड़ महिलाओं को इस संक्रमण ने प्रभावित किया है.
अलग- अलग संक्रमण अलग-अलग उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. बालों पर होने वाला कवक संक्रमण, जिसे टिनिया कैपिटिस के रूप में जाना जाता है, स्कूली उम्र के बच्चों की एक बहुत बड़ी संख्या इससे प्रभावित होती है. इसके कारण सिर की त्वचा में दर्दनाक संक्रमण होता है. इसके कारण सिर से बाल झड़ जाते हैं.
मौत के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार फेफड़े और साइनस को प्रभावित करने वाले मोल्ड संक्रमण हैं, जो 2,50,000 से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं. अन्य 17,38,400 लोगों पुरानी एस्परगिलोसिस और 35 लाख खतरनाक फेफड़ों से संबंधित बीमारी से पीड़ित थे. यहां बताते चलें कि एस्परगिलोसिस - ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ कवक ऊतकों को संक्रमित करते हैं. यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है. माना जाता है कि यह 10 लाख से अधिक लोगों को अंधा कर देने वाला कवक नेत्र रोग और लगभग दो लाख को म्यूकोर्मिकोसिस ('ब्लैक मोल्ड') था.
शोधकर्ताओं ने बताया भारत की करीब 4.4 प्रतिशत आबादी फंगल डिजीज की चपेट में आ चुकी है. फेफड़ों और साइनस के फंगल इंफेक्शन ने 2.5 लाख लोगों को प्रभावित किया. वहीं 17 लाख से ज्यादा लोग श्वसन प्रणाली से संबंधित इन्फेक्शन क्रॉनिक एस्पेरगिलोसिस की चपेट में आए हैं. इसके अलावा करीब 35 लाख लोग गंभीर एलर्जी वाली फेफड़ों की मोल्ड डिजीज से संक्रमित हैं. भारत में हर साल 30 लाख से ज्यादा टीबी के मरीज मिलते हैं, लेकिन यह फंगल की तादाद इससे 10 गुना ज्यादा है.
फंगल इन्फेक्शन ऐसा संक्रमण होता है, जो किसी भी महिला, पुरुष, बच्चे, बजुर्ग को प्रभावित कर सकता है. यह शरीर के अलग- अलग हिस्सों में हो सकता है. फंगल इन्फेक्शन अलग-अलग प्रकार के कवक या माइकोसिस से होता है. फंगल इन्फेक्शन में मनुष्य के शरीर पर अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं फंगल इन्फेक्शन के प्रकार पर निर्भर करता है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इंसानों की हेल्थ के लिए 19 कवक (Fungi) सबसे बड़ा खतरा है और ये गंभीर फंगल डिजीज की वजह बन सकते हैं. इनमें से कुछ इंफेक्शन दवाओं को बेअसर तक कर सकते हैं और लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. फंगल इंफेक्शन से बचने का कोई सटीक तरीका नहीं है, लेकिन इन्फेक्शन से बचने के लिए सभी प्रिकॉशन के बारे में जानना चाहिए और उन्हें अपनी डेली लाइफ में अपनाना चाहिए. सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करनी चाहिए, खुद की हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए. इससे बचने के लिए समय समय पर अपना चेकअप कराते रहना चाहिए. किसी भी तरह का इंफेक्शन होने पर एक्सपर्ट से संपर्क कर इलाज करवाना चाहिए. First Updated : Sunday, 04 February 2024