क्या आपके दिमाग में कभी ये सवाल आया है कि हम एक दिन में कितनी बार सांस लेते हैं या एक मिनट में कितनी बार सांस लेते हैं? अगर नहीं आया तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं.
हर इंसान पल-पल सांस लेता है जिसके कारण वह जिंदा रहता है. बगैर सांस के लोग जीवित नहीं रह सकते. यह ऐसी चीज है जिसका हम प्राकृतिक रूप से लाभ लेते हैं, लेकिन हम इसके बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं. तो lungfoundation.com.au/ के अनुसार एक इंसान दिन में करीब 22,000 बार सांस लेता और छोड़ता है.
हर व्यक्ति औसत रूप से प्रति मिनट 12-20 बार सांस लेता है. इसका मतलब यह हुआ कि एक व्यक्ति रोज 17,000-30,000 बार सांसें लेता है. व्यायाम करते समय या घूमते समय सांस लेने की दर बढ़ जाती है. तब हम ज्यादा सांस लेने लगते हैं और हमारे शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन जाने लगती है.
अगर आप अपनी सांस लेने की दर को मापना चाहें तो माप भी सकते हैं. इसके लिए आप ये गिन सकते हैं कि एक मिनट में कितनी बार आपकी छाती या पेट कितनी बार ऊपर उठती है. सांस लेना एक जटिल, अधिकतर अवचेतन प्रक्रिया है जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है.
सांस लेने की प्रक्रिया में फेफड़े हवा लेते हैं. ऑक्सीजन निकालते हैं. फिर इसे रक्तप्रवाह के माध्यम से प्रवाहित करते हैं. फिर ऑक्सीजन को ऊतकों और अंगों तक ले जाया जाता है. हमारे फेफड़े भी हमारे रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और जब हम सांस छोड़ते हैं तो इसे हवा में छोड़ देते हैं.
हमारे फेफड़ों को कितनी तेजी से सांस लेनी है और हवा कितनी तेजी से खींचनी है यह हमारा मस्तिष्क नियंत्रित करता है. जब हम व्यायाम करते हैं या खेलते हैं तो हमारा मस्तिष्क फेफड़ों को तेजी से काम करने के लिए कहता है. जब हम सो रहे होते हैं या आराम कर रहे होते हैं, तो हमारे फेफड़े धीमे हो जाते हैं. जब फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं तो सारे शरीर पर इसका गंभीर पड़ता है.
इंसाने के फेफड़े दो हिस्सों में होते हैं. बाएं और दाएं. दोनों हिस्से के फेफड़े बिल्कुल एक जैसे नहीं होते. शरीर के बाईं ओर का फेफड़ा दो और दाहिनी ओर का फेफड़ा तीन भागों में विभाजित होता है. बायां फेफड़ा थोड़ा छोटा होता और हृदय के लिए जगह बनाता है.
वैसे हम केवल एक फेफड़े के साथ भी जीवित रह सकते हैं. हालांकि केवल एक फेफड़ा होने से शारीरिक क्षमता सीमित हो जाती है. लेकिन ये सामान्य जीवन जीने से नहीं रोकता. जिन लोगों के फेफड़ों की क्षमता अधिक होती है वे अपने शरीर में तेजी से ऑक्सीजन भेज सकते हैं.
इंसान के उम्र के अनुसार सांस लेने की स्थितियां और दर बदलती रहती है. एक साल तक का शिशु प्रति मिनट 30-60 बार सांसें लेता है जबकि 1-2 साल के बच्चे 24-40 बार सांसें लेते हैं. प्री-स्कूलर यानी 3-5 साल के बच्चे 22-34 सांसें हर मिनट लेते हैं. 6-12 वर्ष के बच्चे प्रति मिनट 18-30 सांस लेते हैं तो और बड़े होने पर वह व्यस्कों की तरह सांस लेने लगते हैं.