नॉलेज : आज भी दुनिया में सबसे बड़े शांति दूत हैं महात्मा गांधी, जब-जब टकराव बढ़ता है लोग गांधी की ओर देखते हैं

Mahatma Gandhi Death Anniversary: आज गांधी हमारे विचारों में है, दुनिया भर में आज भी शांति के सबसे बड़े दूत हैं, गांधी हमारे आदर्श हैं. आज 30 जनवरी गांधी की शहादत का ही नहीं, एक भरोसे को भी याद करने का दिन है.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

एनसीईआरटी के प्रमुख और सुख्यात शिक्षाशास्त्री रहे कृष्ण कुमार ने अपनी किताब ‘शांति का समर’ में महात्मा गांधी को लेकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाया है. सवाल है कि राजघाट हमारे लिए गांधी की स्मृति का राष्ट्रीय प्रतीक क्यों है? बिड़ला भवन क्यों नहीं, जहां महात्मा गांधी ने अपने आखिरी दिन गुजारे और जहां एक सिरफिरे ने गोली मारकर गांधी जी की जान ले ली. आज दिल्ली का राजघाट भारत में शांति का ऐसा प्रतीक है जो हमारे लिए अतीत से किसी मुठभेड का जरिया नहीं बनता. जब-जब हम गांधी की हत्या को याद करते हैं तो सहम जाते हैं. हमारे मन में सवाल आता है कि आखिर गांधी की हत्या क्यों हुई? तो इसके कुछ जवाब भी हो सकते हैं.
 

सांप्रदायिक ताकतें गांधी से डरती थीं

पहले जवाब में हम देख सकते हैं कि गांधी की हत्या इसलिए हुई कि धर्म का नाम लेने वाली सांप्रदायिकता उनसे डरती थी. राष्ट्रवाद को सांप्रदायिक पहचान के आधार पर समाज को बांटने वाली विचारधारा उनसे परेशान थी. गांधी ही ऐसे व्यक्ति थे जो कर्मकांड की अव्हेलना कर उसका मर्म खोज लाते थे और इस तरह कि जिससे धर्म और मर्म दोनों सध जाता था. वह राजनीति भी सध जाती थी जो एक नया देश और नया समाज बना सकती थी. महात्मा गांधी अपनी धार्मिकता को लेकर हमेशा अटल रहे. अपने हिंदुत्व को लेकर हमेशा असंदिग्ध रहे. राम और गीता जैसे प्रतीकों को सांप्रदायिक ताकतों की जकड़ से बचाए रखा.

 महात्मा गांधी देश का भ्रमण के दौरान.
महात्मा गांधी देश भ्रमण के दौरान.


गांधी ने दुनिया को शांति का संदेश दिया

गांधी ने दुनिया को शांति का संदेश दिया. भारत को आजाद कराने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों के अपनाया और लगे रहे. गांधी ने दुनिया को नए और मानवीय अर्थ दिए. आज भी दुनिया में जब-जब युद्ध जैसे हालात होते हैं, तो हल गांधीवादी तरीके से करने की स्वत: दुनिया भर के नेता वकालत करते हैं. दुनिया में आज भी इतने प्रासांगिक हैं गांधी. गांधी का भगवान छुआछूत में भरोसा नहीं करता था. गाधी के आगे राष्ट्र के नाम पर दंगे करने वाली सांप्रदायिकता खुद को कुंठित पाती थी. गोडसे इस कुंठा का प्रतीक पुरुष था जिसने धर्मनिरपेक्ष नेहरू या सांप्रदायिक जिन्ना को नहीं, धार्मिक गांधी को गोली मारी. गांधी मौत के 77 साल बाद भी नहीं मरे. आम तौर पर यह एक जड़ वाक्य है जो हर विचार के समर्थन में बोला जाता है. आज की दुनिया सबसे ज़्यादा तत्व गांधी से ग्रहण कर रही है. वे जितने पारंपरिक थे, उससे ज़्यादा उत्तर आधुनिक साबित हो रहे हैं. आज के समय के सबसे बड़े मुद्दे उनकी विचारधारा की कोख में पल कर निकले हैं. मानवाधिकार का मुद्दा हो, सांस्कृतिक बहुलता का प्रश्न हो या फिर पर्यावरण का, यह सब गांधी के चरखे और उनके बनाए सूत से बंधे हुए हैं.

गोडसे हमेशा के लिए खलनाक बन गया

आज भी देश एकाध कोने से गोडसे की मूर्ति बनाने और गांधी की तस्वीर पर गोली चलाने जैसा घटनाएं देखने को मिलती हैं. लेकिन इन हरकतों से सिरफिरे और मानसिक खुराफाती न गोड़से को जिंदा कर सकते हैं, न गांधी को मार सकते हैं. आज गांधी हमारे विचारों में है, गांधी शांति का प्रतीक हैं, गांधी हमारे आदर्श हैं. आज 30 जनवरी गांधी की शहादत का ही नहीं, एक भरोसे को भी याद करने का दिन है.

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30 January 2024, 12:17 PM IST

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