नॉलेज : रावण ने ऐसा क्या-क्या लिख दिया कि उसको विद्वान कहा जाने लगा?

लंका के राजा रावण में लाख बुराइयां थीं लेकिन उसका बड़ा विद्वान माना जाता था. वह ज्योतिष, चिकित्सा विज्ञान और तंत्र का अच्छा ज्ञाता था. रावण की विद्वता का प्रमाण हैं उसके द्वारा रचे गए ग्रंथ.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

अयोध्या के राम मंदिर में राम लला विराजमान हो चुके हैं. इन दिनों अयोध्या में कुछ वैसा ही हाल है, जैसा भगवान राम के लंका से लौटने के समय था. वैसा ही उत्साह, उमंग, अयोध्या के साथ ही देश और दुनिया के अनेक हिस्सों में देखने को मिल रहा है. जब श्रीराम का जिक्र तब लंका और रावण के बारे में चर्चा न हो, ऐसा नहीं हो सकता. रावण के अंदर लाख बुराइयां थीं, लेकिन उसकी विद्वता पर किसी को भी संदेह नहीं है. वह ज्योतिष, चिकित्सा विज्ञान और तंत्र का अच्छा ज्ञाता था. रावण की विद्वता का प्रमाण हैं उसके द्वारा रचे गए ग्रंथ हैं. आज भी रावण की विद्वता की तारीफ होती है. आपको शायद यह प्रसंग पता को कि भगवान राम ने लक्ष्मण को ज्ञान प्राप्त करने रावण के पास भेजा था

रावण को दशानन क्यों कहा जाता है? 

वास्तव में लंकापति रावण की बुराइयों से सब परिचित हैं, लेकिन ऋषि विश्वश्रवा के पुत्र रावण को कई विद्याओं का ज्ञान था इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. आमतौर पर माना जाता है कि रावण की दस बुराइयों के कारण उसे दशानन यानी दस सिरों वाला कहा गया, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि रावण को इसलिए दशानन कहा गया है, क्योंकि उसके पास अथाह ज्ञान था. उसके ज्ञान के आधार पर यह नाम मिला था. इसीलिए रावण को महापंडित तक कहा गया. रामकथा में कहा गया है कि स्वयं राम ने रावण के अंतिम समय में लक्ष्मण को ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसके पास भेजा था.

रावण ने लिखा था शिव तांडव स्तोत्र

रावण ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र लिखा था. रावण महादेव का अनन्य भक्त था, साथ ही जिद्दी भी था. वह भोलेनाथ से अमर होने का वरदान चाहता था, इसलिए वह भगवान को प्रसन्न करना चाहता था. धार्मिक-पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि शंकर को खुश करने के लिए उसने एक बार कैलाश पर्वत तक को उठा लिया था. यही नहीं, उसने अपने आराध्य की आराधना करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र लिखा था, जिसके जरिए शिवजी को प्रसन्न किया था.

ज्योतिष का ज्ञाता था रावण

हिंदू कथाओं में कई जगह इस बात का उल्लेख है कि रावण को पहले से भविष्य के बारे में पता होता था. आज के संदर्भ में उसे ज्योतिषी के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि उसे ज्योतिष विद्या का अच्छा ज्ञान था. रावण संहिता में उसने ज्योतिष और अपने जीवन के साथ ही अन्य विद्याओं के बारे में लिखा है. रावण को चिकित्सा और तंत्र विद्या की भी जानकारी थी.

रावण ने कौन सा ग्रंथ लिखा था

रावण ने दस शतकात्मक अर्कप्रकाश नामक ग्रंथ लिखा था. इसमें रावण ने चिकित्सा के साथ ही तंत्र विद्या के बारे में भी काफी विस्तार से लिखा है. आज भी यह ग्रंथ काफी प्रसिद्ध और लोकप्रिय है. तंत्र और उपचार के बारे में रावण ने एक और ग्रंथ दस पटलात्मक भी लिखा है. इसमें भी चिकित्सा और तंत्र विद्या की विस्तृत जानकारी मिलती है.

आयुर्वेद के रहस्यों का किया खुलासा

रावण की तंत्र विद्या, ज्योतिष ज्ञान और चिकित्सा के ज्ञान का अंत यही नहीं होता है. रावण के लिखे एक और ग्रंथ कुमारतंत्र में आयुर्वेद के रहस्यों के बारे में बताया गया है. इसी ग्रंथ में रावण ने ज्योतिष के बारे में जानकारी दी है. चिकित्सा और तंत्र विद्या को लेकर रावण ने एक अन्य ग्रंथ की रचना की थी, जिसे उड्डीशतंत्र के नाम से जाना जाता है. यह पुस्तक वशीकरण और टोने-टोटके की इच्छा रखने वालों के बीच काफी लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें इन दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इससे भी एक कदम आगे बढ़कर रावण ने इस पुस्तक में खास तंत्र ज्ञान की रहस्यमय साधना के साथ ही उसके प्रयोगों के गोपनीय तरीकों का भी उल्लेख किया है.

रावण के ग्रंथ से मिलती है नर्वस सिस्टम की जानकारी

रावण को मनुष्य के शरीर विज्ञान के बारे में अच्छी खासी जानकारी थी. रावण के द्वारा लिखे गए नाड़ी परीक्षा नामक ग्रंथ में इसके बारे में जानकारी मिलती है. अपनी इस रचना में रावण ने नर्वस सिस्टम यानी नाड़ी चिकित्सा के बारे में जानकारी दी है. इसके वाला इस ग्रंथ में भी तंत्र के बारे में जानकारी मिलती है.

हस्तरेखा का ज्ञाता था रावण

रावण की संस्कृत में लिखी अरुण संहिता में हस्तरेखा, जन्मकुंडली और सामुद्रिक शास्त्र की जानकारी मिलती है. यही नहीं, रावण ने इंद्रजाल, अंक प्रकाश, रावणीयम, प्राकृत लंकेश्वर, प्राकृत कामधेनु जैसे ग्रंथों की भी रचना थी. इसलिए रावण को चिकित्सा, ज्योतिष, तंत्र समेत कई विधाओं का विद्वान माना जाता है.

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24 January 2024, 01:55 PM IST

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