भारतीय अदालतों में कुल लंबित मामलों के आंकड़ें आया सामने, देखकर आप होंगे हैरान

Law Minister: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए बताया कि देश के अलग-अलग अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा हैं.

Tahir Kamran
Edited By: Tahir Kamran

हाइलाइट

  • भारत के अदालतों में 5 करोड़ से अधिक मामले लंबित
  • राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दी जानकारी
  • 2016 में 3 करोड़ से अधिक था लंबित मामलों की संख्या

New Delhi: भारत सरकार द्वारा 2016 में दिए गए आंकड़ों के अनुसार देश के 24 उच्च न्यायालयों एवं निचली अदालतों में तीन करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं. लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटारा करने के लिए भारत सरकार  "इंसाफ की घड़ी" यानी (Justice Clock) लगाने की योजना बनाई थी. हाल ही में राज्यसभा में केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा जारी रिपोर्ट में जो आंकड़ें सामने आएं हैं, वह भारत सरकार की "इंसाफ की घड़ी" पर प्रश्न चिन्ह लगाता है. क्योंकि इस योजना के करीब सात साल बाद भी लंबित मामले की संख्या लगभग दूगनी हो चुकी है.

पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित

दरअसल, संसद के मानसूत्र सत्र के पहले दिन कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा है कि देश की अलग-अलग अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है. कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, 25 हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में कुल 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.

कानून मंत्री के अनुसार इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमआईएस) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं. नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 14 जुलाई तक हाई कोर्ट में 60,62,953 और जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4,41,35,357 मामले लंबित हैं."

लंबित मामलों के कई कारण

इस आंकड़ों पर कानून मंत्री का कहना है कि अदालतों में मामलों के लंबित होने के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. पर्याप्त संख्या में जजों और न्यायिक अफसरों की अनुपलब्धता, अदालत के कर्मचारियों और कोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, साक्ष्यों का न जुटाया जाना, बार, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों जैसे हितधारकों का सहयोग भी शामिल है.

मामलों के निपटान में देरी की एक वजह अलग-अलग तरह के मामलों के निपटान के लिए संबंधित अदालतों की तरफ से निर्धारित समय सीमा की कमी, बार-बार मामले में सुनवाई का टलना और सुनवाई के लिए मामलों की निगरानी, लंबित मामलों को ट्रैक करने की व्यवस्था की कमी भी देरी में अहम भूमिका निभाती है. 

सरकार ने कहा कि अदालतों में मामले के निपटान के लिए पुलिस, वकील, जांच एजेंसियां और गवाह किसी भी मामले में अहम किरदार और मदद पहुंचाते हैं. इन्ही किरदारों या सहयोगियों द्वारा सहायता प्रदान करने में देरी से मामलों के निपटान में भी देरी की वजह बनती है. 

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24 July 2023, 12:50 PM IST

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