"लॉरेंस बिश्नोई की खतरनाक 'डब्बा कॉलिंग': सलमान खान से लेकर बाबा सिद्दीकी की हत्या तक!"

मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश के पीछे जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम सामने आया है. इस साजिश की शुरुआत सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग के ठीक 10 दिन बाद हुई थी. बिश्नोई ने 'डब्बा कॉलिंग' जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर अपने गुर्गों से गुप्त तरीके से संवाद किया, ताकि पुलिस को भनक भी न लगे. इस पूरी घटना में गैंगस्टर का हाईटेक संचार तरीका और मुंबई में बढ़ता गैंग का प्रभाव कई सवाल खड़े कर रहा है.

Aprajita
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Lawrence Bishnoi Deadly Dabba Calling: मुंबई में बढ़ते गैंगस्टर गतिविधियों ने एक बार फिर लोगों में खौफ फैला दिया है. हाल ही में जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह ने एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश रचकर पुलिस और आम जनता को हैरान कर दिया है. 14 अप्रैल को बिश्नोई के गिरोह ने सलमान खान के मुंबई स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर गोलीबारी की थी. यह कदम सलमान खान को धमकाने और उनके करीबियों को निशाना बनाने के मकसद से उठाया गया था. फायरिंग के दस दिन के भीतर ही बिश्नोई ने अपने गुर्गों को बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश रचने का आदेश दिया.

12 अक्टूबर को यह साजिश अपने अंजाम पर पहुंची. बांद्रा इलाके में जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर उनके पिता, बाबा सिद्दीकी, की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस के अनुसार, सिद्दीकी को खत्म कर बिश्नोई ने यह संदेश दिया कि उसके दुश्मनों का अंजाम भी कुछ ऐसा ही होगा.

डब्बा कॉलिंग: पुलिस से बचने का खुफिया तरीका

बिश्नोई गिरोह ने इस हत्या की योजना को अंजाम देने के लिए एक विशेष संचार पद्धति, जिसे 'डब्बा कॉलिंग' कहा जाता है, का इस्तेमाल किया. यह पद्धति इंटरनेट के जरिए दो कॉल्स को एक साथ जोड़ने का तरीका है, जिसमें एक कॉल अपराधी सरगना से होती है और दूसरी कॉल उसके गुर्गों से. दोनों कॉल्स को स्पीकर पर रखकर ऐसा माहौल बनाया जाता है कि सरगना, अपने अपराधी साथियों को निर्देश दे सके, लेकिन पुलिस या एजेंसियों को इसकी भनक तक न लगे.

इस सिस्टम के तहत बिश्नोई ने अपने प्रमुख सहयोगी अनमोल बिश्नोई को शिवकुमार गौतम, जीशान अख्तर, शुभम लोनकर और सुजीत सिघ से जोड़े रखा. इस पद्धति से पुलिस के लिए यह पहचान पाना मुश्किल हो गया कि आखिर कौन किससे बात कर रहा है.

वीओआईपी और टेलीएक्सचेंज का इस्तेमाल

लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह आधुनिक तकनीकों का बखूबी इस्तेमाल कर रहा है. पुलिस के मुताबिक, उन्होंने एक अस्थायी टेलीएक्सचेंज स्थापित किया था, जहां चार से पांच लोग एक ही कॉल पर जुड़ सकते थे और बातचीत के अंतिम सिरे पर अनमोल बिश्नोई रहता था. बिश्नोई ने वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) और डब्बा कॉलिंग जैसी तकनीकों का प्रयोग किया ताकि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से बचा जा सके.

अपराध पर नियंत्रण की चुनौती

बिश्नोई गिरोह का यह कदम बताता है कि कैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग अपराध की दुनिया में बढ़ रहा है. पुलिस के लिए ऐसे गिरोहों पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि वे नई संचार प्रणालियों का इस्तेमाल कर अपने कदमों को छिपाते हैं. इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को नए सिरे से सावधान कर दिया है और उन्हें अपराधियों के खिलाफ नई रणनीतियां अपनाने पर मजबूर कर दिया है.

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16 November 2024, 05:37 PM IST

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