वक्फ एक्ट पर कानूनी घमासान! जानें किसे है इस कानून से आपत्ति?

Waqf Amendment Act 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई होने जा रही है. आइए जानते हैं किन-किन लोगों और संस्थाओं ने यह चुनौती दी है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Waqf Amendment Act 2025: आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होने जा रही है. इस ऐतिहासिक सुनवाई से पहले यह जानना जरूरी है कि अब तक किन-किन संस्थाओं और व्यक्तियों ने इस अधिनियम के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

यह अधिनियम संसद द्वारा 4 अप्रैल को पारित किया गया और राष्ट्रपति की मंज़ूरी 5 अप्रैल को प्राप्त हुई. केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल से इस अधिनियम को लागू कर दिया है. हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष आज 10 याचिकाएं सूचीबद्ध हैं, लेकिन अब तक 15 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. इन याचिकाओं में धार्मिक संस्थाओं, सांसदों, राजनीतिक दलों और कुछ राज्यों ने भी इस अधिनियम को चुनौती दी है.

कौन हैं मुख्य याचिकाकर्ता?

इन दस प्रमुख याचिकाकर्ताओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फज़लुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा शामिल हैं.

किन प्रावधानों को चुनौती दी गई है?

इन याचिकाओं में आमतौर पर निम्नलिखित प्रावधानों को चुनौती दी गई है:

  • 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाना

  • केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना

  • परिषदों और बोर्ड में महिला सदस्यों की संख्या केवल दो तक सीमित करना

  • वक्फ निर्माण के लिए पाँच वर्षों तक मुस्लिम होने की शर्त

  • वक्फ-अलाल-औलाद को कमजोर करना

  • वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर "यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट" करना

  • ट्रिब्यूनल के आदेशों के विरुद्ध अपील का प्रावधान

  • सरकारी संपत्ति के अतिक्रमण विवादों में सरकार को निर्णयकर्ता बनाना

  • वक्फ अधिनियम में लिमिटेशन एक्ट को लागू करना

  • एएसआई संरक्षित स्मारकों पर बने वक्फ को अमान्य करना

  • अनुसूचित क्षेत्रों में वक्फ बनाने पर प्रतिबंध

संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन

इन याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों का प्रबंधन), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है.

सांसदों और विधायकों द्वारा दायर याचिकाएं

  1. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद – अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है और अन्य धर्मों की संस्थाओं के लिए ऐसी पाबंदियां नहीं हैं.

  2. AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी – अधिवक्ता एलज़फीर अहमद बीएफ के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन अनुच्छेद 26 के तहत वक्फ को प्राप्त सुरक्षा को समाप्त करता है.

  3. आप विधायक अमानतुल्लाह खान – अधिवक्ता आदिल अहमद के माध्यम से दायर याचिका में मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता में कटौती का आरोप लगाया गया है.

  4. राजद सांसद मनोज झा और फैज़ अहमद – अधिवक्ता फौज़िया शकील के माध्यम से दायर याचिका में वक्फ प्रशासन को कमजोर करने और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाने का आरोप लगाया गया.

  5. AITC सांसद महुआ मोइत्रा – याचिका में कहा गया है कि कानून निर्माण की प्रक्रिया में संसदीय नियमों का उल्लंघन हुआ है.

  6. सपा सांसद ज़िया उर रहमान – अधिवक्ता उस्मान ग़नी खान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि यह अधिनियम मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाता है.

  7. मणिपुर के विधायक शेख नूरुल हसन – अधिवक्ता अब्दुल्ला नसीह के माध्यम से दाखिल याचिका में अनुसूचित जनजातियों के मुस्लिमों के अधिकारों को लेकर चिंता जताई गई.

इस्लामी और धार्मिक संस्थाओं की याचिकाएं

  • AIMPLB – महासचिव मोहम्मद फज़लुर्रहीम द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि यह अधिनियम मुस्लिम अल्पसंख्यक की धार्मिक पहचान और अभ्यास को प्रभावित करता है.

  • जामिया मस्जिद, बेंगलुरु के मुख्य इमाम मोहम्मद मकसून इमरान – उन्होंने वक्फ अधिनियम, 1995 की बहाली की मांग की है.

  • जमीयत उलेमा-ए-हिंद अध्यक्ष अरशद मदनी – अधिवक्ता फुज़ैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर याचिका में वक्फ संपत्तियों के अस्तित्व पर खतरे की आशंका जताई गई.

  • समस्त केरल जमीयतुल उलेमा – अधिवक्ता जुल्फिकार अली पीएस के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन वक्फ की मूल भावना को ही समाप्त कर देते हैं.

राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिकाएं

  1. YSR कांग्रेस पार्टी – याचिका में बड़े पैमाने पर सरकारी हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया.

  2. DMK – याचिका में 20 करोड़ मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात कही गई.

  3. CPI – महासचिव डी. राजा द्वारा दाखिल याचिका में तमिलनाडु विधानसभा में पारित प्रस्ताव का भी हवाला दिया गया.

  4. IUML – याचिका में इस अधिनियम को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बताया गया.

  5. तमिलगा वेत्तरी कळगम के अध्यक्ष और अभिनेता विजय – उन्होंने भी इस अधिनियम को चुनौती दी है.

एनजीओ की याचिकाएं

  • एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स

  • ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ जुरिस्ट्स

ये राज्य कर रहे समर्थन

असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दाखिल याचिका में हस्तक्षेप की मांग की है. इन राज्यों ने अधिनियम का समर्थन करते हुए इसे संरचनात्मक सुधार, वैधानिक स्पष्टता और प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा प्रदान करने वाला बताया है.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने वक्फ अधिनियम, 1995 को गैर-मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताते हुए एक अलग रिट याचिका दाखिल की है.

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16 April 2025, 09:24 AM IST

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