'महान तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन: संगीत की दुनिया ने खो दिया एक चमकता सितारा'
संगीत के धरोहर और पांच बार के ग्रैमी अवार्ड विजेता, जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया. हृदय रोग के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को पूरी दुनिया में एक नई पहचान दी. उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक बड़ा शून्य आ गया है. जानिए कैसे उनकी कला और योगदान ने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई ऊंचाई दी. जानें पूरी खबर
Zakir Hussain Passed Away: रविवार, 15 दिसंबर 2024 को संगीत के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति हुई. महान तबला वादक और संगीतकार उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया. जाकिर हुसैन का निधन संगीतप्रेमियों और भारतीय कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके निधन से न केवल भारतीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संगीत मंच भी गहरे शोक में डूब गया है.
अमेरिका में हुआ निधन
हुसैन को हाल ही में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. उनके मित्र और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों से उन्हें दिल से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया था. जाकिर हुसैन की मैनेजर, निर्मला बच्चानी के अनुसार, वह रक्तचाप की समस्या से भी जूझ रहे थे.
जाकिर हुसैन: एक महान संगीतज्ञ
जाकिर हुसैन को उनकी अपार प्रतिभा और कड़ी मेहनत के लिए हमेशा याद किया जाएगा. वह अल्लाह रक्खा के बेटे थे, जो खुद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे. जाकिर हुसैन ने वैश्विक स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई पहचान दी और पूरी दुनिया में अपने हुनर का लोहा मनवाया. अपने करियर में उन्होंने पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार समारोह में जीते गए थे.
एक वैश्विक सहयोगी कलाकार
हुसैन का संगीत करियर न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने दुनिया के नामी संगीतकारों के साथ भी काम किया. उन्होंने प्रसिद्ध गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक विक्कू विनायकराम जैसे महान कलाकारों के साथ मिलकर शानदार परियोजनाओं पर काम किया. 1973 में उनका प्रोजेक्ट एक अभूतपूर्व प्रयोग था, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत को जैज़ के साथ मिलाकर एक नई ध्वनि तैयार की गई, जो पूरी दुनिया में सराही गई.
देश ने दिया उच्चतम सम्मान
जाकिर हुसैन को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया था. 1988 में उन्हें पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2023 में पद्मविभूषण जैसे सम्मान दिए गए. ये सम्मान न केवल उनके कार्य के लिए थे, बल्कि उनकी कला और संगीत के प्रति समर्पण को भी मान्यता देते थे.
संगीत की दुनिया में एक शून्य
जाकिर हुसैन का निधन एक विशाल शून्य छोड़ गया है, जो कभी भी भर नहीं सकता. उनका संगीत और उनकी विरासत हमेशा हमारे बीच रहेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी. उनके योगदान को याद करते हुए, संगीत जगत उन्हें हमेशा एक महान गुरु और कलाकार के रूप में याद रखेगा.