Lok Sabha Election 2024 : एक वोट से चुनाव में हार के तीन किस्से, किसी से छिनी PM की कुर्सी तो कोई CM नहीं बन पाया
Lok Sabha Election 2024 : चुनावी में एक-एक वोट का बहुत महत्व होता है इसीलिए कहा जाता है कि आपको वोट जरूर करना चाहिए. एक वोट से कई बार लोग चुनाव में हार गए और उनके सपनों पर पानी फिर गया. एक बार तो एक वोट से सरकार ही गिर गई गई थी. आज हम आपको 1 वोट से चुनाव में हार के 3 किस्से बता रहे हैं.
Lok Sabha Election 2024 : दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र मतलब भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आम चुनाव अगले 2 महीने में होने वाले हैं. इन चुनावों में लोग बढ़ चढ़कर भाग लेतें हैं. कई बार यह देखने को मिलता है कि कोई उम्मीदवार एक वोट से हार गया या फिर एक वोट जीत गया है. ऐसे में आपको एक वोट की अहमियत की पता चलता है. बॉलीवुड की एक फिल्म ओम शांति ओम आई थी, जिसमें शाहरूख खान हीरो थे. इस फिल्म में डायलाग है, 'एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू...' शायद आपने इसको सुना हो.
चुनावी मौसम में अगर हम इस डायलाग को थोड़ा बदलें और यह कर दें, 'एक वोट की कीमत तुम क्या जानो....' तो कोई अतिश्चयोक्ति नहीं होगी. आज हम आपको चुनावी किस्सों के जरिए एक वोट की कीमत के बारे में बता रहे हैं.
ड्राइवर वोट डालने नहीं पहुंचा और नेता जी हार गए
दो बार ऐसा देखने के लिए मिला की एक वोट के अंतर से नेताजी विधानसभा का नहीं पहुंच पाए. पहला वाकया 2004 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय का है. जेडीएस के उम्मीदवार एआर कृष्णमूर्ति कांग्रेस के ध्रुवनारायण से सिर्फ एक वोट से हार गए थे. कृष्णमूर्ति को 40,751 वोट मिले थे जबकि उनके विरोधा ध्रुवनारायण को एक वोट ज्यादा यानी 40,752 वोट मिले और वो चुनाव जीत गए. बाद में पता चला कि कृष्णमूर्ति का ड्राइवर वोट देना चाहता था लेकिन जा नहीं सका क्योंकि नेताजी ने उसे चुनाव वाले दिन काम से छुट्टी ही नहीं दी. बाद में जब नेता जी को इसके बारे में पता चला तो उनके पास अपने किए पर पश्चापात करने के अलावा कुछ नहीं बचा. इससे आपको एक वोट और समय दोनों की महत्व समझ में आया होगा.
राजस्थान में सीपी जोशी एक वोट से हारे थे चुनाव
साल 2008 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा सीट से कांग्रेस के सीपी जोशी और भाजपा के कल्याण सिंह चौहान मैदान में थे. नतीजे आए तो चौहान को 62,216 वोट मिले वहीं जोशी को एक वोट कम यानी 62,215 वोट मिले. मतलब कि जोशी सिर्फ एक वोट से चुनाव हार गए. यह जोशी के लिए बड़ा झटका था क्योंकि वो राजस्थान कांग्रेस के न सिर्फ अध्यक्ष थे बल्कि सीएम पद के प्रबल दावेदार भी थे. उन्होंने पार्टी को चुनाव में जीत दिला दी, लेकिन खुद एक वोट से हार गए. इस पर आगे जोशी कोर्ट पहुंच गए और उन्होंने आरोप लगाया कि चौहान की पत्नी ने दो पोलिंग बूथों पर वोट डाला था. हाई कोर्ट ने जोशी के पक्ष में फैसला दिया लेकिन आखिर में वह सुप्रीम कोर्ट में जोशी केस हार गए. बाद में मीडिया रिपोर्ट में पता चला कि सीपी जोशी की मां, बहन और ड्राइवर ने वोट नहीं डाला था.
एक वोट से गिरी थी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार
साल 1999 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से एआईएडीएमके ने अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा. विश्वास प्रस्ताव में अलच बिहारी वाजपेयी के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े और सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई. इस कहानी से भी लोगों को समझना चाहिए कि आपका वोट कितना कीमती है और यह क्या कर सकता है. वाजपेयी सरकार को सत्ता से बेदखल करने की शुरुआत सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा आयोजित एक टी-पार्टी से हुई थी. दरअसल जनसंघ से जुड़ाव रखने वाले सुब्रमण्यम स्वामी अटल सरकार में अपनी उपेक्षा से दुखी थे. उन्होंने तमिलनाडु में विपक्ष में बैठी AIADMK की नेता जे जयललिता के पास सरपरस्ती तलाशा और समीकरण को सेट कर दिया.