लोकसभा चुनाव 2024 : राजनीतिक दल जनता को लुभाने के लिए कैसे तैयार करते हैं घोषणा-पत्र?
Political Party Manifesto : मेनिफेस्टो यानी घोषणा पत्र, यह नाम किसी भी चुनाव से पहले चर्चा में आ जाता है. यह वह दस्तावेज होता है जो चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दल जारी करते हैं. इसमें वे जनता के सामने अपने वादे रखते हैं.
Political Party Manifesto: देश में आने वाले अप्रैल-मई लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए तमान राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस तैयारी में चुनावी रणनीति बनाने, प्रचार की रणनीति समेत कई तरह की तैयारियां होती हैं, लेकिन इसमें सबसे अलग और महत्ववूर्ण होता है मेनिफेस्टो या घोषणा पर. करीब- करीब राष्ट्रीय दल अपना-अपना घोषणा पत्र जारी करते हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर यह मेनिफेस्टो होता क्या है? इसे तैयार करने के मानक क्या हैं? क्या नियम-कानून बनाए गए हैं? आज हम इसके बारे में जानेंगे.
मेनिफेस्टो या घोषणा पत्र क्या होते हैं?
मेनिफेस्टो यानी घोषणा पत्र, यह नाम किसी भी चुनाव से पहले चर्चा में आ जाता है. यह वह दस्तावेज होता है जो चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दल जारी करते हैं. इसमें वे जनता के सामने अपने वादे रखते हैं. इसके जरिए बताते हैं कि वे चुनाव जीतने के बाद जनता के लिए क्या-क्या करेंगे. उनकी नीतियां क्या होंगी. सरकार किस तरह से चलाएंगे और उससे जनता को क्या फायदा मिलेगा. चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक घोषणा पत्र में किए वादों को पूरा करते हैं या नहीं यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि घोषणा पत्र में किए वादों को पूरा करने के लिए राजनीतिक दल बाध्य नहीं होते.
चुनाव घोषणा पत्र में क्या होता है?
राजनीतिक दलों दे द्वारा घोषणा पत्र जारी करने का उद्देश्य मतदाताओं को लक्षित करना होता है. इसके अलावा पार्टियों की मूल विचारधारा, प्रमुख नीतियां जैसे आर्थिक और विदेश नीति, योजनाएं, शासन के लिए कार्यक्रम और चुनावी मुद्दों का घोषणा पत्र में समावेश होता है. भारत में राजनीतिक दलों घोषणा पत्रों में अधिकतर अलग- अलग आधार पर जनता को योजनाओं के माध्यम से लाभ देने का जमकर वादा किया जाता है. हाल के 2023 विधानसभा चुनाव में यह चीज बहुत अधिक देखने को मिली है. जनता राजनीतिक दलों के द्वारा किए गए वादों से प्रभावित होकर मतदान भी करती है.
दुनिया भर में जारी किए जाते हैं मेनिफेस्टो
भारत
भारत में मुद्दों को तो शामिल किया ही जाता है, घोषणा पत्र में विशेष फायदों को भी मिलाने की परंपरा सी देखी जाती है. यहां कई बार राजनीतिक दल मुफ्त रेवड़ियां (फ्रीबीज) तक को अपने घोषणा पत्र में शामिल कर लेते हैं, जिसका मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक में उठ चुका है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारतीय चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के लिए घोषणा पत्र जारी करने को एक निश्चित गाइडलाइन तय कर दी हैं.
अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक दल चुनावी घोषणा जारी करते हैं. इसमें नीति-आधारित, आर्थिक नीति, विदेश नीति, स्वास्थ्य देखभाल, शासन में सुधार, पर्यावरणीय मुद्दे, आप्रवासन आदि के मुद्दे शामिल होते हैं. यहां के घोषणा पत्रों में किसी को विशेष लाभ की बता नहीं होती बल्कि योजनाओं और नीतियांओं के बारे में ब्लू प्रिंट पेश किया जाता है. अमेरिका में चुनाव से 2 महीने पहले घोषणा पत्र जारी करना होता है.
यूनाइटेड किंगडम
यूनाइटेड किंगडम में चुनाव घोषणा पत्रों में ठोस नीति विकल्पों और बजटीय निहितार्थ को शामिल किया जाता है. कभी-कभी, पार्टियां अपने में वित्तीय अनुच्छेद जोड़ देती हैं. यहां घोषणा पत्र को लेखा परीक्षा न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया जाता है. इसकी सहमति मिलने के बाद जनता में इसे रखा जाता है.
मेक्सिको
मेक्सिको में संघीय चुनाव के पांच महीने पहले राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र जारी करना होता है. घोषणा पत्र में राजनीति, अर्थव्यवस्था, कानून व्यवस्था समेत कई विषय हो सकते हैं. घोषणा पत्र को जारी करने से पहले चुनाव प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित कराना होता है. इसी प्रकार, भूटान में भी घोषणा पत्रों को पहले चुनाव प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित कराना होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट में एस सुब्रमण्यम बालाजी वर्सेज तमिलनाडु सरकार और अन्य के मामले की सुनवाई रकरते हुए जुलाई 2013 में जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस पी सतशिवम की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी मुफ्त वितरण (फ्रीबीज) वास्तव में सभी लोगों पर असर डालता है. ऐसे में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव नहीं हो पाते. साथ ही देश में ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है जिससे मेनिफेस्टो में की जाने वाली घोषणाओं को कंट्रोल किया जा सके. इसलिए कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि राजनीतिक दलों से बात करके गाइडलाइन तैयार करे. यह भी कहा था कि इस गाइडलाइन को राजनीतिक पार्टियों और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए चुनाव आचार संहिता में भी सम्मिलित किया जाए.
2013 में जारी की गई गाइडलाइन
इसके बाद 2013 में ही पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता में चुनाव घोषणा पत्र से जुड़ी गाइडलाइन भी जोड़ दी. इन गाइडलाइन में कहा गया है कि घोषणा पत्र में संविधान के आदर्शों और सिद्धांतों के खिलाफ कुछ भी नहीं होगा और यह आदर्श आचार संहिता का पालन करेगा. राजनीतिक पार्टियों को उन वादों से बचना होगा, जो चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को कम कर सकते हैं या मतदाताओं पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं. गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दल घोषणा पत्र में किए गए वादों की जरूरत को बताएंगे और वही वादे किए जाएंगे जो पूरे किए जा सकते हैं. यह भी बताना होगा कि इन वादों को पूरा करने के लिए वित्तीय जरूरतें किस तरह पूरी होंगी?
घोषणा पत्र जारी करने की समय सीमा भी तय
राजनीतिक दलों के लिए घोषणा पत्र जारी करने के लिए समय सीमा भी तय कर दी गई. इसमें कहा गया है कि चुनाव के लिए घोषणा पत्र प्रोहिबिटरी पीरियड में नहीं जारी किया जाएगा. यह निर्देश जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अनुसार दिया गया है. इसी अधिनियम के अनुसार यह भी कहा गया है कि अगर चुनाव कई चरणों में होते हैं तो भी निषेधात्मक अवधियों (प्रोहिबिटरी पीरियड) में घोषणा पत्र नहीं जारी किया जाएगा. बताते चलें कि आरपी अधिनियम की धारा 126 के अनुसार यह प्रोहिबिटरी पीरियड चुनाव खत्म होने से पहले के 48 घंटे हैं यानी मतदान के 48 घंटे पहले से घोषणा पत्र जारी करने पर रोक लग जाती है.