Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव जब नजदीक आ रहे हैं और कांग्रेस को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है, लेकिन ऐसे समय में कांग्रेस का एक के बाद एक बड़े नेता साथ छोड़ रहे हैं. अब केरल के 4 बार मुख्यमंत्री रहे करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. गुरुवार को दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पद्मजा को पार्टी की सदस्यता दिलाई. सदस्यता ग्रहण करने के बाद पद्मजा ने कहा कि अपने सियासी करियर में वे पहली बार राजनीतिक दल बदल रही हैं.
पद्मजा वेणुगोपाल ने पार्टी से अलग होते समय आरोप लगाया कि कांग्रेस आलाकमान तक अपनी पीड़ा और शिकायत पहुंचाने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया. उन्होंने कहा कि वे केरल से दिल्ली कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिलने आईं, लेकिन उन्होंने मिलने का समय तक नहीं दिया. पद्मजा ने कहा, 'मैं सोनिया गांधी का बहुत सम्मान करती हूं लेकिन उन्होंने मुझे कभी समय नहीं दिया. ' रिपोर्ट्स के मुताबिक पद्मजा राज्य में कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुकी हैं. हाल ही में पार्टी ने उन्हें महासचिव पद पर नियुक्त किया था.
केरल के चार बार मुख्यमंत्री रहे करुणाकरण की बेटी पद्मजा को बीजेपी ने अपने में मिलाकर बड़ा दांव चला है. क्योंकि भाजपा अपना जनाधार मजबूत करने के लिए दक्षिण भारत समेत ऐसे इलाकों पर फोकस कर रही है. यहां अभी पार्टी के पास पर्याप्त वोट और सांसद-विधायक नहीं हैं. केरल उन राज्यों में शामिल है, जहां भाजपा को अभी सत्ता पर असर डालने के नजरिए से शून्य से शुरुआत करनी है. केरल में कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी यहां पैर जमाना चाहती है. पद्माजा 4 बार सीएम रहे करुणाकरण की बेटी हैं. ऐसे में यह बात को तय है कि उनको पार्टी में शामिल कराने से पार्टी को राज्य में मजबूती मिलेगी. कोई नुकसान नहीं होगा.
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री करुणाकरण और उनके बेटे मुरलीधरन ने 2004 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. दोनों ने डेमोक्रेटिक इंदिरा कांग्रेस (करुणाकरण) का गठन किया था, लेकिनजनता में कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाए. इसके बाद दोनों 2007 में कांग्रेस में वापस लौट आए. वहीं पद्मजा कांग्रेस से जुड़ी रहीं, लेकिन उन्हें अपने राजनीतिक करियर में लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ रहा था, आगे चलकर भाई मुरलीधरन वडकारा से लोकसभा सांसद भी बने. पद्मजा ने 2016 और 2021 में केरल विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार मुंह की खानी पड़ी. इसके बाद से उनको किसी मजबूत नाव की सवारी करने का इंतजार था. अब बीजेपी के साथ यह इंतजार पूरा हो गया है.
केरल में बीजेपी का कोई खास जनाधार नहीं हैं, राज्य में बीजेपी जमीनी स्तर पर पकड़ बनाना चाहती है उसके लिए बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. ऐसे में बीजेपी को केरल में ऐसे लोगों को तलाश है जिनके सहारे राज्य में पार्टी को ताकत मिल सके. First Updated : Friday, 08 March 2024