Lord Shiva: आज आदिवासी समाज दिवस है आज के दिन जनजाति समाज के लोग इस दिन को बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं साथ ही आज के दिन मरांगबुरू के रूप में पहाड़, आकाश, बिजली, बारिश और सूर्य तेज हवा देवता के रूप में पूजा की जाती है. झारंखड के लोगों को मानना है कि ये सभी चीजें भगवान शिव का प्रतीक हैं इसीलिए हर आदिवासी के लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
पवित्र सावन के दिनों में भगवान शिव की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है. आदिवासी की यह परंपरा शुरू होने से पहले प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी और हड़प्पा संस्कृति में भी भगवान शिव की पूजा को काफी अहम मानते थे.. झारखंड में कई हजारों सालों से यह परंपरा चली आ रही है. जिसे जनजाति के लोग करने से पीछे नहीं हटते हैं. इस परंपरा को लेकर कई पौराणिक कथाएं बताई गई हैं.
इसके साथ ही यह परंपरा न केवल झारखंड में निभाई जाती है बल्कि झारखंड के कई इलाकों में इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. आदिवासी जनजाति के लोग हर साल विभिन्न प्रकार से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. जिसे हर साल निभाई जाता है. इस परंपरा को निभाने के लिए वह काफी समय से इंतजार करते हैं. संथाल समाज के लोग भी मरांगबुरु के रूप में पूजा करते हैं.
वह प्रत्यक्ष रूप से भगवान की आराधना करते हैं साथ ही बिजली, आकाश, बारिश, सूर्य और तेज हवा के देवता के रूप में पूजा जाता है. वहां के लोग इन सब चीजों को भगवान शिव का प्रतीक मानते हैं उनका कहना है कि यहां की हर चीज में भगवान शिव का वास है इतना ही नहीं पशुपति के रूप में भगवान शिव ही उनकी रक्षा करते हैं. First Updated : Wednesday, 09 August 2023