हाइवे निकलेगा तो मुआवजा मिलेगा! खबर सुनते ही दो महीने में बना डाले 3 हजार घर

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली में मुआवजे का बड़ा खेल सामने आया है. यहां प्रस्तावित सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे की खातिर चिह्नित जमीन पर लोगों ने करीब तीन हजार घरों का निर्माण करा दिया है. यह पूरा खेल सिर्फ दो महीने में खेला गया है और अब भी निर्माण कार्य जारी है. इसके पीछे की वजह यह है सरकार की तरफ से मिलने वाला आवासीय मुआवजा, जो उनकी लागत से भी ज्यादा पहुंच जाएगा.

JBT Desk
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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश से फर्जीवाड़ा का हैरान करने वाला मामला सामने आया है. दरअसल यूपी को एमपी से जोड़ने के लिए सिंगरौली-प्रयागराज नेशनल हाईवे बनना है. जिसके लिए कुछ जगहों का अधिग्रहण किया जाएगा. अब इन जमीनों पर कुछ लोगों ने लालच के लिए घर बनाना शुरू कर दिए हैं. हैरानी की बात तो ये है कि इन जगहों पर मात्र दो महीने में 3 हजार घर बना डाले हैं. ताकि तब हाईवे बने तो इनका घर टूट जाए और एनएचआई इसके बदले मुआवजा दे. 

मकानों को बनाने का यह सिलसिला अभी भी जारी है. हालांकि यह सब स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है. यही वजह है कि ये निर्माण काफी तेजी में किया जा रहा है. उप विभागीय मजिस्ट्रेट सुरेश जाधा के मुताबिक अधिग्रहण के लिए भूमि को सेलेक्ट किया गया. इसके बाद कराए गए निर्माणों को भी सर्वे किया गया है. ऐसे में उनको अवैध मानते हुए कार्रवाई की जाएगी, अधिक मुआवजा देने का प्रश्न ही नहीं है.

ये जमीन स्थानीय किसानों की

इतने कम समय में 2000 से 3000 घर बनाए गए हैं, ये घर उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के लोगों ने बनाए हैं. भास्कर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन गैर-एमपी निवासियों ने 32 घरों का निर्माण एक ही मकसद से किया है और वो है मुआवजा. इन मकानों में 4-फुट ऊंची ईंट की चारदीवारी और टिन शेड हैं जो पक्के मकानों की तरह दिखते हैं, हालांकि, यहां कोई नहीं रहता है. इन घरों का एकमात्र उद्देश्य धोखेबाजों की लालची. हैरानी की बात तो ये है कि ये जमीन स्थानीय किसानों की है. 

जमीन की खरीद-फरोख्त पर लगी रोक

इस साल मार्च में मध्य प्रदेश में 70 किलोमीटर लंबे राजमार्ग के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए अधिकारियों ने अधिसूचना जारी की थी. इसके बाद सिंगरौली के चितरंगी और दुधमनिया तहसीलों के 33 गांवों में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी.जब किसी राजमार्ग परियोजना को मंजूरी दी जाती है, तो प्रभावित क्षेत्र में भूमि की बिक्री और खरीद पर अक्सर प्रतिबंध लगा दिया जाता है ताकि अटकलों और बढ़े हुए मुआवजे के दावों को रोका जा सके. 

मुआवजा के नाम पर फर्जीवाड़ा

बनाए गए मकानों के सर्वे में पता चला है कि इन जमीन के रजिस्ट्री पर रोक लगी हुई थी, इसलिए जमीन के दलालों ने इन जमीनों के मालिक स्थानीय गरीब किसानों से एक स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिए, जिसमें लिखा था कि अगर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) द्वारा मुआवजा दिया जाता है, तो इसकी 80 फीसदी राशि बिल्डर को मिलेगी, जबकि बाकी 20 फीसदी जमीन मालिक को मिलेगी. जमीन के दलालों ने इस 'सौदे' में यूपी, छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों के लोगों को शामिल किया.

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16 July 2024, 12:01 PM IST

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