कहीं टीचर तो कहीं बिगड़ रहा फ्यूचर, सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल
बुन्देलखण्ड के सागर से भी ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक तरफ स्टुडेंट को पढ़ाने 45 स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं है तो दूसरी तरफ़ 9 बच्चों को पढ़ाने के लिय एक ही स्कूल में 8 शिक्षक पदस्थ कर दिया. मामला, सागर शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित जिंदा गांव से सामने आया है. जिंदा गांव में दो ऐसे स्कूलों को चलाया जा रहा है.
देश के सरकारी स्कूलों का हाल तो सभी को पता है. 'पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया' का नारा तो जोर-शोर से चल रहा है. लेकिन अगर स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है तो कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया. हालांकि हम आपको ऐसा मामला बताने वाले है. जहां शिक्षक की नहीं स्टूडेंट की कमी है.
न्यूज 18 के रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सागर में शैक्षणिक असंतुलन सामने आया है. जिले के करीब 45 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, सागर शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर जिंदा गांव के एक स्कूल में सिर्फ नौ छात्रों के लिए आठ शिक्षक कार्यरत हैं.
शिक्षकों की भरमार
जिंदा गांव में दो स्कूल हैं, जिन्हें पांच साल पहले कम छात्र संख्या के कारण बंद करने की सिफ़ारिश के बावजूद भी संचालित किया जा रहा है. यहां के प्राथमिक विद्यालय में छह छात्रों के लिए तीन शिक्षक हैं, और पास के माध्यमिक विद्यालय में केवल तीन छात्रों के लिए पांच शिक्षक हैं.
क्या कहते हैं नियम
शिक्षा निरीक्षणालय के नियमों के अनुसार 20 से कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद कर देना चाहिए. वहां के छात्रों को पास के स्कूलों में शामिल करने का निर्देश दिया गया है.
शिक्षकों के आवंटन में हुई गड़बडियां
सागर जिले में शिक्षकों के आवंटन में कई गड़बडियां देखने को मिली हैं, यहां 13 शिक्षक मात्र 10 छात्रों को पढ़ा रहे हैं, जबकि कई स्कूल जहां शिक्षक नहीं हैं, वे पिछले साल लाए गए 2,870 अतिथि शिक्षकों पर ही निर्भर हैं. इन संख्याओं के बावजूद, जिले में अभी भी 1,446 शिक्षकों को बिना मतलब के नियुक्त किया गया है.
शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा
इन खुलासों के जवाब में सागर जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन ने इस मुद्दे को स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि इस तुरंत ठीक किया जाए. नामांकन सीमा से नीचे आने वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा, और छात्रों और कर्मचारियों को दूसरे जगह शिफ्ट किया जाएगा.