MP News: भोजशाला मस्जिद या मंदिर, ज्ञानवापी की तरह होगा ASI सर्वे
Bhojshala ASI Survey: उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद अब मध्य प्रदेश की भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे होगा. मध्य प्रदेळ हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने अपने आदेश में साफ कहा कि ASI भोजशाला की एतिहासिकता का वैज्ञानिक और तकनीली सर्वेक्षण करें.
Bhojshala ASI Survey: उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद अब मध्य प्रदेश की भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे होगा. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने अपने आदेश में साफ कहा कि ASI भोजशाला की एतिहासिकता का वैज्ञानिक और तकनीली सर्वेक्षण करें. इस पर हिंदू पक्ष की इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित कर लिया था. हिंदू पक्ष ने यहां होने वाली नमाज पर भी रोक लगाने की मांग की थी.
ये है इतिहास
एक हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन काल था. यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया . राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाने जाने लगा था. हिंदू पक्ष इसे सरस्वती देवी का मंदिर मानता है.
क्या है पूरा विवाद
हिंदू पक्ष इस भोजशाला को राज भोज कालीन स्मारक बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी, दूसरी ओर मुस्लिम समाज का मनाना है कि वो सालों से यहां नमाज़ पढ़ते आ रहें. मुस्लिम इसे भोजशाला - कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.
भोजशाला मंदिर में एएसआई सर्वे की इजाजत देने वाले एमपी हाईकोर्ट के फैसले पर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ANI से बात करते हुए कहा "आज हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने एएसआई सदस्यों की पांच सदस्यीय कमेटी बनाने की बात कही है." एएसआई के निदेशक या अतिरिक्त निदेशक की अध्यक्षता में और छह सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए. 1991 का पूजा स्थल अधिनियम यहां लागू नहीं होता है क्योंकि यह एक एएसआई-संरक्षित स्मारक है और इसलिए यह 1991 के अधिनियम से छूट है."
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ट्वीट कर बताया कि "मध्य प्रदेश में भोजशाला/धार के एएसआई सर्वेक्षण के लिए मेरे अनुरोध को इंदौर उच्च न्यायालय ने अनुमति दे दी है..."