चम्बल के बीहड़ों में वैसे तो सैकड़ो डाकुओं ने खूब जमकर राज किया. लेकिन कुछ ऐसे डकैत भी हुए जिनसे पूरा चंबल कांपता था. इनमें डाकू मान सिंह, पान सिंह, माधो सिंह, मोहर सिंह, वीरप्पन, निर्भय सिंह गुज्जर के अलावा महिला डाकू फूलन देवी ने भी राज किया.
पान सिंह तोमर के बारे में कौन नहीं जानता है. चंबल के इस डकैत पर फिल्म भी बनी है. पान सिंह तोमर डकैत बनने से पहले भारतीय सेना में सिपाही थे. इसके अलावा एक एथलीट भी थे और 1950-1960 के दशक में करीब सात बार के राष्ट्रीय चैंपियन रहे. जमीनी विवाद के चलते पान सिंह तोमर को मजबूरी में बंदूक उठानी पड़ी. इसके बाद वह चंबल का खतरनाक डकैत बन गया.
निर्भय सिंह गुज्जर का नाम चंबल खूखार डाकुओं में शुमार था. उसके पास करीब 80 डाकुओं की फौज थी. निर्भय सिंह के नाम का खौफ सैकड़ों गांवों में था. उस पर लूटपाट, हत्या और बलात्कर के कई मामले दर्ज थे. नेता भी निर्भय के आतंक से डरते थे. साल 2005 में पुलिस ने निर्भय सिंह गुज्जर को मौत के घाट उतार दिया था.
फूलन देवी के बारे में तो आप जानते ही होंगे. बैंडिट क्वीन फिल्म में उनकी कहानी को दिखाया गया. फूलन देवी का नाम चंबल की खतरनाक महिला डाकुओं में शुमार है. फूलन देवी की कहानी बेहद ही दर्दनाक है. कम उम्र में ही उनकी शादी हो जाती है और उसके बाद वो गैंगरेप शिकार होती है. इन घटनाओं के बाद फूलन देवी डाकू बन जाती है. 1983 में फूलन देवी ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर किया था. साल 2001 में डकैत से सांसद बनी फूलन की हत्या कर दी गई.
वीरप्पन और उसकी फौज को पकड़ने के लिए भारतीय सेना को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. वो लंबे समय से केरल और तमिलनाडु के जंगलों में छिपा रहा. उसने 900 से ज्यादा हाथियों को मारा था. सरकार ने खूखार डकैत वीरप्पन को पकड़ने के लिए 20 करोड़ रूपये खर्च किए थे. 18 अक्टूबर, 2004 को पुलिस ने वीरप्पन को मौत के घाट उतार दिया था.
डकैत मान सिंह पर हत्या और लूटपाट के करीब 300 मामले दर्ज थे. मान सिंह का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश के एक गांव में मान सिंह का मंदिर बनाकर पूजा की जाती है. मान सिंह को ब्रिटिश सरकार में उम्रकैद की सजा मिली थी. उसने 32 पुलिसकर्मियों को मार डाला था.