Madhya Pradesh Election 2023: EVM के दौर में कांग्रेस के लिए पोस्टल बैलेट वोट कितना हो सकता है अहम्!
Madhya Pradesh Election 2023: चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार EVM के वोटों की गिनती से पीला अक्सर पोस्टल बैलेट की गिनती होती है.
हाइलाइट
- मध्य प्रदेश में पोस्टल बैलेट पर मचा बवाल
मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ, जिसका परिणाम 3 दिसंबर को आने वाला है. मतगणना से पहले कांग्रेस ने बालाघाट के जिला कलेक्टर गिरीश मिश्रा पर पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है. एमपी कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से डाक मत पत्र पेटी खोलने का एक वीडियो भी दिया है. कांग्रेस ने कहा कि बालाघाट कलेक्टर ने बीजेपी के दबाव में हेरफेर करने का प्रयास किया. लेकिन सतर्क होने की वजह से मामला सामने आया. मामला को बढ़ता हुआ देख जबलपुर कमिश्नर ने एसडीएम और तहसीलदार को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया.
प्रदेश के बालाघाट ज़िले में पोस्टल बैलेट को मतगणना से पहले ही खोले जाने और छेड़छाड़ की आशंका का एक वीडियो सामने आया है, जिसकी शिकायत निर्वाचन आयोग में कांग्रेस पार्टी ने की है। यह अत्यंत गंभीर मामला है। दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिये।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 27, 2023
मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आवाहन… https://t.co/GL59BN4rSC
पोस्टल बैलेट क्या है?
पोस्टल बैलेट भी मतदान का एक साधन है, जो ईवीएम के युग में भी प्रचलित है. देश में पोस्टल बैलेट के जरिये वोट करने का अधिकार वरिष्ठ नागरिकों, नजरबंद मतदाता, चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों और सैन्य और विदेश सेवा में तैनात सरकारी अधिकारियों के पास ही है. चुनाव आयोग की अगर मानें तो अक्सर पोस्टल बैलेट की गिनती ईवीएम के वोटों की गिनती से पहले होती है. चुनाव के नतीजे की घोषणा पोस्टल बैलेट और EVM के मतों को गिनने के बाद जारी किया जाता है.
कब हुई पोस्टल बैलेट की शुरुवात?
पोस्टल बैलेट के जरिये वोटिंग काफी पुरानी है. देश में प्रत्येक नागरिक के लिए वोट देने का अधिकार तय करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 23 को आखिरी बार 21 अक्टूबर 2016 को भारत में संशोधित किया गया था. इस संशोधन के बाद पोस्टल बैलेट की शुरुआत की गई.
बता दें कि पोस्टल बैलेट 1980 के दशक में यूज़ होने वाला पेपर्स बैलेट कि तरह होता है. पोस्टल बैलेट में दो पार्ट होते हैं, पहले पार्ट में मतदाताओं को अपनी डिटेल्स देनी होती है. जिसको कि आयोग अपने पास रख लेती है.तो वहीं दुसरे भाग में प्रत्याशियों के नाम के साथ चुनाव चिन्ह रहते हैं. इसमें वोटर जिसे भी मतदान देना चाहता है उसके आगे उसे टिक लगाना होता है. काउंटिंग के दौरान इसे ही गिना जाता है.
आईये जानते हैं कि क्यों महत्वपूर्ण है विपक्ष के लिए पोस्टल बैलेट का वोट...
2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान लगभग 2 लाख 88 हजार मत पड़े थे. पोस्टल बैलेट ने प्रदेश के 10 सीटों पर जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इनमें ग्वालियर दक्षिण, सुवासरा, बिना, कोलारस, जबलपुर उत्तर जैसी सीटें शामिल थी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच 5 सीटों का अंतर था. इस बार भी दोनों पार्टियों के बीच काफी तगड़ी टक्कर माना जा रहा है. तो वहीं दूसरी वजह है पोस्टल बैलेट के जरिये वोट करने वाले लोग जो कि सरकारी कर्मचारी डालते हैं. ओल्ड पेंशन योजना के वजह से विपक्षी पार्टियों के वोट पोस्टल बैलेट से बढ़ा है.
मध्य प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम एक बड़ा मुद्दा माना जा है और कांग्रेस ने सरकार में आने के बाद इसे लागू करने की बात कही है.