Election Result: मां मजदूरी करती है, परिवार झोपड़ी में रहता... 12 लाख का लोन लेकर चुनाव लड़ा, फिर रचा इतिहास
रतलाम के रहने वाले कमलेश्वर डोडियार के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ सकें. उन्होंने 12 लाख का कर्ज लिया और इस बार के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूद गए.
MP Election Result 2023: चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कई लोग हार-जीत का अपने तरीके से विश्वलेषण कर रहे हैं. बीजेपी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीत दर्ज कर कमाल कर दिया. कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में जीत के साथ संतुष्ट रहना पड़ा. इन राज्यों में कई ऐसे विधायकी के लिए उम्मीदवार रहे जिन्होंने बेहद गरीबी में इलेक्शन लड़ा और कई बाहुबली नेताओं को हराकर दिखा दिया. इनमें से एक रहे मध्य प्रदेश के कमलेश्वर डोडियार...
लोन लेकर लड़ा विधानसभा का इलेक्शन
रतलाम के रहने वाले कमलेश्वर डोडियार के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ सकें. उन्होंने 12 लाख का कर्ज लिया और इस बार के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूद गए. कमलेश्वर ने सैलाना सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हर्ष विजय गहलोत को 4618 वोटों के अंतर से हरा दिया. कमलेश्वर को 71219 वोट मिले और हर्ष को 66601 वोट मिले. वहीं, बीजेपी की संगीता चारेल तीसरे स्थान पर रहीं. ईसीआई के आंकड़ों के अनुसार इस सीट पर मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदान हुआ. यहां पर 90.08 फीसदी वोटिंग हुई.
झोपड़ी में रहते हैं कमलेश्वर
कमलेश्वर एक झोपड़ी में रहते हैं, जब अधिक वर्षा होती है तो वह उससे बचने के लिए अपनी झोपड़ी को तिरपाल से ढकते हैं. रविवार के दिन जब सुबह गिनती शुरू हुई और धीरे-धीरे प्रत्याशियों के बीच अंतर बढ़ता जा रहा था तो लोगों ने इस शख्स को जीत की बधाई देने शुरू कर दी. लेकिन उनकी मां सीताबाई मजदूरी में व्यस्त थी. 33 वर्षीय कमलेश्वर ने भारत आदिवासी पार्टी से अपना पर्चा भरा था. कमलेश्वर बेहद गरीब परिवार से आते हैं और बहुत संघर्ष करते हुए अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. कमलेश्वर ने गरीबी को काफी नजदीक से देखा है. नवयुवक विधायक के 6 भाई और 3 बहनें हैं.
मध्य प्रदेश में 163 सीटें जीतकर बीजेपी ने रचा इतिहास
मध्य प्रदेश में ओवरोल इलेक्शन की बात करें तो बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है और 163 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की है. वहीं, कांग्रेस के खाते में 63 सीटें आई और राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. मध्य प्रदेश में बीजेपी की दो दशक से ज्यादा सत्ता पर काबिज हो गए हैं. इतने सालों के बाद भी इतनी बंपर जीत के साथ पता लगता है कि बीजेपी के खिलाफ प्रदेश में कोई लहर ही नहीं थी. अब पार्टी हाईकमान को फैसला लेना है कि वह शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री को कुर्सी देना चाहती है या किसी ओर को गद्दी सौंपना चाहती है.