Gwalior High Court: आजकल इंटरनेट का चलन काफी बढ़ गया है जिस वजह से बच्चे कम उम्र में ही जवान हो जा रहे हैं. भारत में आपसी सहमति से संबंध बनाने की आयु सीमा 18 वर्ष है लेकिन इंटरनेट की वजह से आजकल के बच्चे 18 साल की उम्र होने से पहले ही संबंध बना रहे हैं. इस बीच ग्वालियर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है की, आपसी सहमति से संबंध बनाने की वैधानिक उम्र को कम कर दी जाए.
दरअसल, ग्वालियर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपील की है कि आपसी सहमति से संबंध बनाने की वैधानिक उम्र को 18 से घटाकर 16 कर दी जाए. हाई कोर्ट ने इस मामले पर अपना तर्क देते हुए कहा कि, इस इंटरनेट की जनरेशन में लड़के व लड़किया उम्र से पहले ही जवान हो जा रहे हैं और एक दूसरे की तरफ आकर्षित होकर शारीरिक संबंध बना रहे है, हालांकि जब इसकी जानकारी सामने आती है तो लड़के को ही दोषी ठहराया जाता है, इस मामले में सिर्फ लड़के को दोषी नहीं माना जा सकता है.
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान निर्भया कांड के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि, दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद यौन उत्पीड़न कानून को सख्त बनाने का प्रयास किया गया. इसके बाद ही आईपीएस की धारा 375 के तहत आपसी संबंध बनाने की आयु सीमा को 16 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया था. हालांकि इसके बाद भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें आपसी सहमति से संबंध बनाने के बाद भी लड़के को आरोपित मानकर उसपर कार्रवाई की जाती है.
केंद्र सरकार को यह अपील हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने की है. उन्होंने यह अपील कथित तौर पर छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में जेल बंद कोचिंग संचालक राहुल की याचिका के सुनवाई के बाद किया है. आरोपी राहुल ने दुष्कर्म की एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है. इस मामले में कथित तौर पर दुष्कर्म के कारण नाबालिग गर्भवती हो गई थी जिसके बाद उसके पिता ने हाई कोर्ट से गर्भपात की अनुमति मांगी थी, इस मामले में कोर्ट ने सितंबर 2020 में अनुमति दे दी थी, इस मामले में आरोपी राहुल 2020 से जेल में बंद है.
हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने कहा कि, ''आज के युग में ऐसे कई मामले में सामने आ रहे हैं जिसमें लड़की की आयु 18 से कम पाई जाती है, ऐसे में लड़कों के साथ अन्याय हो रहा है''. दीपक अग्रवाल ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि, ''एक बार फिर विचार विमर्श करने के बाद आपसी संबंध बनाने की आयु सीमा को 18 से घटाकर 16 कर दी जाए ताकि किसी के साथ अन्याय न हो''. First Updated : Friday, 30 June 2023