Kuno National Park: जंगल में म्याऊँ ! नामीबियाई चीता 'आशा' ने एमपी के कूनो नेशनल पार्क में तीन शावकों को दिया जन्म
Kuno National Park: नामीबियाई चीता 'आशा' ने एमपी के कूनो नेशनल पार्क में तीन शावकों को जन्म दिया. इसका वीडियों केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर साझा किया है. जिसमे 3 चीते के बच्चे नजर आ रहे हैं.
Kuno National Park: न्यू ईयर पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से खुशखबरी निकलकर सामने आ रहीं हैं. नामीबियाई चीता 'आशा' ने एमपी के कूनो नेशनल पार्क में तीन शावकों को जन्म दिया. इसका वीडियों केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर साझा किया है. जिसमे 3 चीते के बच्चे नजर आ रहे हैं.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, जंगल में म्याऊँ! यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कूनो नेशनल पार्क ने तीन नए सदस्यों का स्वागत किया है. शावकों का जन्म नामीबियाई चीता आशा से हुआ है. उन्होंने आगे लिखा, पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने के लिए यह पीएम मोदी द्वारा परिकल्पित प्रोजेक्ट चीता की जबरदस्त सफलता है.
Purrs in the wild!
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) January 3, 2024
Thrilled to share that Kuno National Park has welcomed three new members. The cubs have been born to Namibian Cheetah Aasha.
This is a roaring success for Project Cheetah, envisioned by PM Shri @narendramodi ji to restore ecological balance.
My big congrats… pic.twitter.com/c1fXvVJN4C
परियोजना में शामिल सभी विशेषज्ञों, कुनो वन्यजीव अधिकारियों और भारत भर के वन्यजीव उत्साही लोगों को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई.
सीएम मोहन ने भी साझा किया वीडियो
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी एक्स पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, "कूनो नेशनल पार्क में तीन चीता शावकों के आगमन का समाचार अत्यंत आनंददायक है. पीएम मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश को चीता स्टेट के रूप में नई पहचान मिली है."
जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों को बीते साल 17 सितंबर 2022 को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था और इसी के साथ देश में प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत हुई थी. वहीं मार्च 2023 में 'ज्वाला' नाम के मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया था, लेकिन उनमें से केवल एक ही जीवित बचा था. उसे भी नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था.