Explainer: नामीबिया से लाए गए चीतों की लगातार हो रही मौत की क्या है वजह?
Explainer: 17 सितम्बर 2022 को नामीबिया से 8 तेंदुओं को कूनो नेशनल पार्क में लाया गया, जिन्हें प्रधानमंत्री ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 तेंदुए लाए गए.
Explainer: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए एक और चीते की मौत हो गई. इसके साथ ही इस राष्ट्रीय उद्यान में एक साल के भीतर मरने वाले तेंदुओं की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. आखिर इन तेंदुओं की लगातार हो रही मौतों का कारण क्या है? क्या चीतों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए उनके गले में लगाए गए रेडियो कॉलर के संक्रमण से उनकी जान जा रही है या फिर उन पर मौसम का असर पड़ रहा है?
नामीबिया से 8 तेंदुए भारत लाए गए
दुनिया का सबसे तेज़ जानवर कहा जाने वाला चीता वर्षों पहले भारत से विलुप्त हो गया था. इन्हें फिर से आबाद करने के लिए भारत सरकार ने एक परियोजना शुरू की और दक्षिण अफ्रीका से 12 तेंदुए और नामीबिया से 8 तेंदुए भारत लाए गए. इन तेंदुओं को एमपी के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया था. अब नामीबिया से आए चीता 'शौर्य' की मौत के बाद वहां वयस्क चीतों की संख्या 10 और 4 शावक बचे हैं.
वन विभाग के मुताबिक, सुबह करीब 11 बजे ट्रैकिंग टीम ने पाया कि नर चीता ठीक से नहीं चल रहा है, जिसके बाद उसे ट्रांसफ़्यूज़ किया गया और उसे ठीक करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली. सीपीआर के बावजूद 'शौर्य' की हालत में कोई बदलाव नहीं आया और दोपहर 3.17 बजे उसकी मौत हो गई.
कब कब हुई मौत?
मार्च 2023 से अब तक कूनो में विभिन्न कारणों से 'शौर्य' समेत 7 वयस्क तेंदुओं और तीन शावकों की मौत हो चुकी है, जिससे मरने वालों की संख्या 10 हो गई है. अब तक मरने वाले वयस्क तेंदुओं में तीन मादा और चार नर हैं. इनमें साशा की 27 मार्च को, उदय की 23 अप्रैल को, दक्ष की 9 मई को, तेजस की 11 जुलाई को, सूरज की 14 जुलाई को, धात्री की 2 अगस्त को और शौर्य की 16 जनवरी को मौत हो गई.
मौत की वजह
उदय नाम के तेंदुए की मौत का कारण बताते हुए ऑर्थोडॉक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत कार्डियोपल्मोनरी पतन के कारण हुई. इसके बाद 9 मई को जो दक्षा नामम मैडम चीता की मौत हुई थी उसका कारण मेटिंग के दौरान नर तेंदुए के हिंसक व्यवहार के कारण बताया गया.
मौत के अन्य कारण
इसी तरह अन्य चीतों की मौत के मामले में कमजोरी, दूसरे चीतों से हिंसक झड़प को वजह बताया गया. कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीतों के स्थान का पता लगाने के लिए उनके गले में लगाए गए रेडियो कॉलर से उनकी गर्दन पर घाव हो गए, जिससे उनकी मौत हो गई. हालांकि वन विभाग ने ऐसी खबरों को पूरी तरह अफवाह बताया है. साथ ही किसी भी संदेह को दूर करने के लिए बाद में 6 तेंदुओं की गर्दन से रेडियो कॉलर हटा दिए गए.
रेडियो कॉलर हटाने के बाद भी मौतें
विभाग ने 6 तेंदुओं की गर्दन से रेडियो कॉलर हटा दिए लेकिन इसके बाद भी कूनो नेशनल पार्क में तेंदुओं की मौत नहीं रुक रही है. ऐसे में एक बार फिर से धोखेबाजों की चर्चाएं अचानक तेज हो गई हैं. वन विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि चीतों की अचानक मौत के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं. इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि भारतीय मौसम में ये चीते ढल नहीं पा रहे हैं.
विशेषज्ञों का क्या है कहना
मौत के कारणों को जानने के लिए विभाग ने अफ्रीका से विशेषज्ञों को बुलाया था. उनका कहना है कि 'भारत में भीषण ठंड के साथ-साथ भीषण गर्मी का भी सामना करना पड़ता है. वहीं, अफ्रीका में अधिक गर्मी होती है और वहां ऊँचे घास के मैदान भी हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि चीते मौसम में सही से खुद को ढाल नहीं पा रहे हैं. इससे उनकी इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ सकता है. हालांकि अभी तक मौतों की कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है.