Madras HC ruled in sexual harassment case: मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक यौन उत्पीड़न मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रेमिका को गले लगाना और किस करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता. यह निर्णय एक ऐसे युवक के मामले में आया है जो यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहा था. कोर्ट ने इसे प्रेमी-प्रेमिका के बीच स्वाभाविक संबंधों का हिस्सा मानते हुए इस मामले में कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता को अस्वीकार कर दिया.
यह मामला तमिलनाडु के संथनगणेश नामक युवक से जुड़ा है, जिसने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. युवक पर आरोप था कि उसने 13 नवंबर 2022 को अपनी प्रेमिका से मुलाकात के दौरान उसे गले लगाया और चूमा. इस घटना के बाद लड़की ने अपने माता-पिता को इस बारे में जानकारी दी और युवक के साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन संथनगणेश ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया. इसके बाद लड़की ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
संथनगणेश ने कोर्ट से गुहार लगाई कि ऑल वुमन पुलिस स्टेशन द्वारा उनके खिलाफ दर्ज इस एफआईआर को रद्द किया जाए, क्योंकि उसे झूठा और अनुचित बताया गया था. युवक का कहना था कि यह एक स्वाभाविक प्रेम संबंध था और इसे अपराध की श्रेणी में रखना उचित नहीं है.
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने मामले की सुनवाई के दौरान इस पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की. कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 354-A (1) (i) के तहत यौन उत्पीड़न का मामला तभी बनता है जब किसी महिला के प्रति आपत्तिजनक शारीरिक संपर्क बनाया जाए. जस्टिस वेंकटेश ने माना कि किशोरावस्था में प्रेमी-प्रेमिका के बीच गले लगाना और चूमना सामान्य मानवीय भावना है और इसे अपराध की तरह नहीं देखा जा सकता.
कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपों को सच भी माना जाए, तब भी इसे यौन उत्पीड़न का मामला नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसमें कोई अपराध नहीं बनता है. प्रेमी-प्रेमिका के बीच इस तरह के संबंध स्वाभाविक हैं और उन्हें कानून की कठोरताओं से नहीं गुजरना चाहिए.
मद्रास हाईकोर्ट का यह निर्णय देशभर के प्रेमी जोड़ों के लिए एक नजीर साबित हो सकता है. इससे पहले, कई मामलों में प्रेमी जोड़ों को उनके निजी संबंधों के लिए कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. कोर्ट का यह फैसला बताता है कि एक स्वाभाविक प्रेम संबंध को आपराधिक श्रेणी में नहीं गिना जाना चाहिए, जब तक कि कोई असामान्य या जबरदस्ती की स्थिति न हो.
इस फैसले के बाद, यह साफ संदेश मिलता है कि प्रेम संबंधों में गले लगाना या चूमना कानूनी दृष्टि से कोई अपराध नहीं है. अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रेमी जोड़े अपने निजी संबंधों को समाज की हदों के भीतर निभा सकते हैं, बशर्ते कि यह आपसी सहमति पर आधारित हो. First Updated : Wednesday, 13 November 2024