जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की जयंती का जश्न, नई पहचान पर चिंता में क्यों हैं हिंदू?

Maharaja Hari Singh Birth Anniversary: आर्टिकल 370 के कारण, महाराजा हरि सिंह की विरासत लंबे समय तक सीमित रही. छोटे-छोटे आयोजन हुए, लेकिन बड़े पैमाने पर उन्हें मान्यता नहीं मिली. अब, जब आर्टिकल 370 हटा दिया गया है. ऐसे में लोगों को इस साल बड़ा और भव्य आयोजन करने का मौका मिला. इस कारण ऐसा लगा मानों उनको अपनी नई पहचान मिल गई हो.

JBT Desk
JBT Desk

Maharaja Hari Singh Birth Anniversary: सालों से धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर का हिंदू समाज अपने पहचान को लेकर तरस रहा था. अब जब हालात बदले हैं तो इस बार महाराजा हरि सिंह की 130वीं जयंती ने जम्मू-कश्मीर में उत्साह और गर्व की एक नई लहर देखने को मिली. यह दिन डोगरा और राजपूत समुदाय के लिए एक उत्सव नहीं था, बल्कि अपनी पहचान और सम्मान को पुनः स्थापित करने का अवसर भी था. वर्षों तक आर्टिकल 370 के कारण महाराजा हरि सिंह की विरासत का सार्वजनिक रूप से सम्मान नहीं हो सका. इस बार, हर वर्ग के लोग उनके योगदान को मान्यता देने के लिए एकजुट हुए.

जम्मू-कश्मीर में लोग महाराजा हरि सिंह की विरासत का जश्न खुलेआम और गर्व से मना रहे हैं. 1947 में महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ विलय का फैसला ऐतिहासिक था, जिसने न केवल राज्य को भारतीय संघ का हिस्सा बनाया, बल्कि हिंदू समुदाय के योगदान को भी सुनिश्चित किया.

सांस्कृतिक धरोहर का पुनर्जागरण

डोगरा समाज के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह ने इस अवसर पर कहा कि महाराजा हरि सिंह ने हमारे इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका नेतृत्व हमारे समाज में सामाजिक सुधारों का आधार बना. उनके जन्मदिन को मनाना हमारे गौरव और पहचान को सम्मान देने का अवसर है. इस जयंती को युवा राजपूत सभा द्वारा एक भव्य रैली के साथ मनाया गया, जिसमें जम्मू की सड़कों पर पारंपरिक वस्त्रों में सजे लोग शामिल हुए.

संघर्ष के बाद मिली पहचान

युवा राजपूत सभा के सदस्य विवेक सिंह ने कहा कि 2022 से पहले, हम इतने बड़े स्तर पर महाराजा हरि सिंह की जयंती नहीं मना सकते थे. इसे सार्वजनिक मान्यता दिलाने में हमने लंबा संघर्ष किया है. आज, हम अपने इतिहास पर गर्व कर सकते हैं और इसे खुले तौर पर मना सकते हैं. इस उत्सव में एक मोटर रैली भी आयोजित की गई, जिसमें महाराजा की प्रतिमा पर माल्यार्पण और मिठाइयां बांटी गईं.

भविष्य की चुनौतियां

हालांकि, आर्टिकल 370 की बहाली को लेकर विपक्ष की चर्चाओं ने कुछ लोगों में चिंता पैदा कर दी है. अखिल भारतीय डोगरा महासभा के सदस्य महेश कौल का कहना है कि अगर आर्टिकल 370 फिर से लागू किया जाता है तो यह हमारी प्रगति के लिए खतरा होगा और हमारी सांस्कृतिक पहचान को हानि पहुंचाएगा. यह जयंती न केवल अतीत के संघर्षों की याद दिलाती है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों का संकेत भी देती है.

मंदिरों का पुनर्निर्माण और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा

इस उत्सव के साथ-साथ, जम्मू में मंदिरों के पुनर्निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जो हिंदू समुदाय के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना का प्रतीक है. स्थानीय पुजारी पंडित हरिकृष्ण का कहना है कि वर्षों तक हमारे मंदिर उपेक्षित रहे, लेकिन अब उनका पुनर्निर्माण हमारे लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है. युवा राजपूत महिला अर्चना राणा कहती हैं कि मुझे गर्व है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर रहे हैं.

भविष्य की दिशा

जैसे-जैसे उत्सव आगे बढ़ा, यह साफ हो गया कि महाराजा हरि सिंह की विरासत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. जम्मू के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर और आत्म-सम्मान का जश्न मना रहे हैं. जम्मू एक बार फिर हिंदुओं के लिए 'मंदिरों का शहर' के रूप में उभर रहा है, और यहां की सांस्कृतिक जड़ें मजबूती से पुनः स्थापित हो रही हैं.

calender
30 September 2024, 12:20 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो