महाराणा प्रताप की वो तलवार जिससे नतमस्तक हो जाते थे दुश्मन!

भारत के सबसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के में हुआ था. आज के दिन देशभर में महाराणा प्रताप कि जयंती मनाई जा रही है.

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Maharana Pratap Jayanti 2024:  वीर योद्धा महाराणा प्रताप का आज यानि 09 मई को जंयती देशभर में मनाई जाती है. महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था. हर साल भारत में महाराणा प्रताप की जयंती धूमधाम  से मनाई जाती है. बता दें, इस साल महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती मनाई जाएगी. महाराणा प्रताप ने कई युद्ध को जीतकर में मुगलों को हार की धूल चटाई. मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप को शौर्य, पराक्रम और साहस के लिए जाना जाता हैं. महाराणा प्रताप की कई कहानियां इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए अंकित है.

महाराणा प्रताप के लिए हर भारतीय के दिल में वीर राजा कि पहचान है . इसके साथ ही उन पर  कई फिल्में बनाई गई, किताबे लिखा गई हैं और शोध भी हुए. लेकिन इन सभी के बावजूद आज भी लोगों महाराणा प्रताप के बारे में जानने की चाहते हैं. 

महाराणा प्रताप की तलवार

महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे, जिन्होंने दुश्मन को धूल चटाने में काफी योगदान दिया है.  कहा जाता है कि हल्दी घाटी युद्ध में अकबर के 85 हजार वाली विशाल सेना का सामना महाराणा प्रताप ने अपने 20 हजार सैनिकों से किया था. उनकी तलवार से उन्होंने  अकबर के 85000 सैनिक को युद्ध में हरा दिया था. महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था. उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था.

इसलिए महान थे महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप कुटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, मानसिक व शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे। उनकी लंबाई 7 फीट और वजन 110 किलोग्राम था और वे 72 किलो के छाती कवच, 81 किलो के भाले, 208 किलो की दो वजनदार तलवारों को लेकर चलते थे। उनके पास उस समय का सर्वश्रेष्ठ घोड़ा 'चेतक' था, जिसने अंतिम समय में जब महाराणा प्रताप के पीछे मुगल सेना पड़ी थी तब अपनी पीठ पर लांघकर 26 फीट ऊंची छलांग लगाकर नाला पार कराया और वीरगति को प्राप्त हुआ। जबकि इस नाले को मुगल घुड़सवार पार नहीं कर सकें। 

सर्वश्रेष्ठ घोड़ा चेतक

महाराणा प्रताप के बारे में बताएं तो , राजनीतिज्ञ, मानसिक और शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे. उनकी लंबाई 7 फीट थी औक वजन 110 किलोग्राम था . उनका 72 किलों के छाती कवच था, 81 किलो के भाले, 208 किलो की दो वजनदार तलवारों को लेकर चलते थे. उनके पास सर्वश्रेष्ठ घोड़ा 'चेतक' था, जिसने अंतिम समय में तक महाराणा प्रताप का साथ दिया था.  First Updated : Thursday, 09 May 2024