कांग्रेस के वादे, खड़गे के सवाल: महाराष्ट्र चुनाव के बीच सियासी बवाल
Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी खटाखट गारंटियों पर सवाल उठा दिए हैं. कर्नाटक सरकार इस समय गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है. इस स्थिति में खड़गे ने पार्टी के नेताओं और राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जितनी गारंटी पूरी कर सकते हैं, उतने ही वादे करें, अन्यथा सरकार दिवालिया हो सकती है.
Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी घोषणा पत्र आने से पहले ही कांग्रेस खुद पर कई सवाल खड़े कर चुकी है. ये सवाल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान से उठे, जो उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बैठकर दिया. अब कांग्रेस अपने वादों को बजट के हिसाब से सीमित रखने की बात क्यों कर रही है? क्या हिमाचल के अधूरे वादों का असर हरियाणा चुनाव तक पहुंचने के कारण कांग्रेस में आत्मचिंतन शुरू हो गया है? यहां तक कि राहुल गांधी ने भी कहा कि महाराष्ट्र में गारंटी का ऐलान बजट के आधार पर करेंगे.
खड़गे ने बताया कि राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र में गारंटी की घोषणा बजट के आधार पर करने की बात कही है. महाराष्ट्र चुनाव में गारंटी पर 15 दिनों तक विचार-विमर्श के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया गया है. खड़गे ने बताया कि नागपुर और मुंबई में इन गारंटियों की घोषणा की जाएगी.
क्या बोले खड़गे?
खड़गे चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए वादों पर चर्चा कर रहे थे. उन्होंने नेताओं को याद दिलाया कि कर्नाटक में पांच गारंटी का वादा किया गया था. इसी तरह, महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने पांच गारंटी का वादा किया है. खड़गे ने स्पष्ट किया कि बिना बजट को ध्यान में रखे वादे करना सरकार को संकट में डाल सकता है. उन्होंने महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं को सलाह दी कि बजट के अनुरूप ही वादे किए जाएं ताकि वित्तीय समस्याएं न बढ़ें.
पार्टी नेताओं को चेतावनी
खड़गे ने पार्टी नेताओं को चेतावनी दी कि अगर बिना वित्तीय स्थिति का ध्यान रखे वादे किए जाते हैं, तो इससे दिवालियापन का खतरा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि बजट का सही प्रबंधन न करने पर सड़कों पर रेत डालने तक के लिए भी पैसे नहीं होंगे. अगर इस सरकार की विफलता होती है, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा और सरकार को अगले दस वर्षों तक आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
बढ़ता कर्ज और वित्तीय संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कांग्रेस ने सभी गारंटियां पूरी कीं तो कर्नाटक का राजस्व घाटा 60 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये हो सकता है. इससे राज्य के बजट का लगभग 21.5 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा. कर्नाटक सरकार पर पहले से ही पांच लाख करोड़ रुपये का कर्ज है और यह कर्ज और बढ़ने की संभावना है.
बीजेपी का आरोप
बीजेपी का दावा है कि कर्नाटक सरकार गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी हैं. पिछले साल उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि चुनाव के समय किए गए वादों को पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जिससे इस वर्ष नए विकास प्रोजेक्ट्स के लिए धन की कमी हो सकती है.