RSS की 'स्पेशल 65' से महाराष्ट्र चुनाव में क्या नया समीकरण बनेगा?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 'स्पेशल 65' की एंट्री से राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में नया मोड़ आ सकता है। यह रणनीति महायुति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि इसके माध्यम से पार्टी के चुनावी समीकरण में महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद है। 'स्पेशल 65' का उद्देश्य चुनावी ताकत को बढ़ावा देना और महायुति को जीत दिलाने के लिए रणनीतिक सहयोग प्रदान करना है।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक प्रचार जोरों पर है। तमाम पार्टियां जनता तक अपने मुद्दे पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। इस बार का चुनाव महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी मैदान में उतरा है। RSS अपने 65 से अधिक सहयोगी संगठनों के जरिए 'सजग रहो' नाम से एक विशेष अभियान चला रही है, जिसे 'स्पेशल 65' कहा जा रहा है।
RSS का अभियान: उद्देश्य और रणनीति
RSS का 'स्पेशल 65' अभियान केवल बीजेपी को मजबूत करने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य हिंदू समाज में एकजुटता लाना और जातिवाद को समाप्त करना भी है। RSS का मानना है कि इस अभियान से चुनाव के दौरान महायुति को राजनीतिक लाभ मिलेगा और हिंदू समाज के बीच एकजुटता का संदेश जाएगा। यह अभियान महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम पर असर डालने के लिए खास समय पर शुरू किया गया है। इसके माध्यम से महायुति गठबंधन हिंदू वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।
सजग रहो अभियान: हिंदू जागरूकता पर ध्यान
RSS का यह अभियान लोकसभा चुनाव के बाद चलाए जा रहे तीन प्रमुख राष्ट्रीय अभियानों में सबसे नया है। इस अभियान को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हाल ही में हुए हमलों के बाद विशेष रूप से चलाया जा रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं को अपने अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। RSS ने इसे जातिवाद और धार्मिक विभाजन को समाप्त करने का एक उपाय बताया है। इस अभियान में दो महत्वपूर्ण बयान हैं— योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी "बांटेंगे तो काटेंगे" और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी "एक हैं तो सेफ हैं"। इन बयानों के जरिए RSS हिंदू समाज को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है।
हिंदू मतदाता एकजुट होने से महायुति को होगा लाभ?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर RSS का यह अभियान हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने में सफल होता है, तो इसका सीधा फायदा महायुति गठबंधन को मिलेगा। इस अभियान के माध्यम से हिंदू मतदाता किसी एक पार्टी या गठबंधन के पक्ष में एकजुट हो सकते हैं। इसका असर सीधे तौर पर चुनाव परिणाम पर दिखाई दे सकता है। RSS के इस अभियान की टाइमिंग भी खास मानी जा रही है, क्योंकि यह महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शुरू किया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस अभियान से महायुति को निर्णायक बढ़त मिल सकती है।