Maharashtra: महाराष्ट्र के स्पीकर ने शरद गुट को दिया झटका, अजित पवार गुट को बताया असली NCP
Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने फैसला सुनाया कि पिछले साल 30 जून से 2 जुलाई के बीच अजित पवार के गुट की हरकतें और बयान दल-बदल के नहीं बल्कि पार्टी के भीतर चल रही असहमति को लेकर थे.
Maharashtra MLAs Disqualification: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आज गुरुवार को विधायकों को आयोग्य ठहराने के मामले पर सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने फैसला सुनाया कि राज्य विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार गुट की संख्या शरद पवार गुट से काफी अधिक है. विधानसभा स्पीकर ने एनसीपी के दो गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा, "मेरा मानना है कि अजित पवार गुट को एनसीपी के भीतर भारी बहुमत हासिल है. इसलिए अजित पवार गुट ही असली एनसीपी है.
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने फैसला सुनाया कि पिछले साल 30 जून से 2 जुलाई के बीच अजित पवार के गुट की हरकतें और बयान दल-बदल के नहीं बल्कि पार्टी के भीतर चल रही असहमति को लेकर थे.
विधानसभा स्पीकर ने क्या कहा?
राहुल नार्वेकर ने सुनवाई करते हुए कहा कि भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची का प्रावधान, जो दलबदल के आधार पर विधायकों की अयोग्यता से संबंधित है, का उपयोग सदस्यों को चुप कराने या विपक्ष को कुचलने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से कानून का दुरुपयोग होगा और कानून के तर्क के विपरीत होगा.
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने आगे कहा, "सरकार में शामिल होने से पहले अजित पवार गुट विधायकों और एमएलसी की संख्या के मामले में शरद पवार गुट से आगे निकल गया था. उन्होंने आगे कहा कि 2 जुलाई, 2023 से जब अजीत पवार सरकार का हिस्सा बने उस समय एनसीपी के भीतर दो पार्टी अध्यक्ष और पार्टी संरचना मौजूद थी.
चुनाव आयोग ने अजीत पवार गुट को दी मान्यता
विधानसभा स्पीकर ने पिछले हफ्ते के चुनाव आयोग के आदेश का हवाला दिया, जिसने अजीत पवार के गुट को 'असली एनसीपी' के रूप में मान्यता दी और शरद पवार के पक्ष से पार्टी का नाम और प्रतीक छीन लिया. बाद में शरद पवार की पार्टी का नाम बदलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार कर दिया गया.
शीर्ष चुनाव निकाय का निर्णय बिल्कुल शिव सेना बनाम शिव सेना की लड़ाई के रूप में सामने आया, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'असली सेना' के रूप में मान्यता दी गई थी. जिसकी जमकर आलोचना हुई थी.