Ladli Behan scheme: सुप्रीम कोर्ट ने लाड़ली बहन योजना (लड़की बहिन योजना) को रोकने के लिए अंतरिम आदेश देने की चेतावनी दी है. कई सालों से लंबित मामले के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कड़े शब्द सुनाए हैं. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि मुफ्त में बांटने के लिए पैसा है लेकिन मुआवजा देने के लिए नहीं. सरकारी वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अब कोर्ट ने लाड़ली बहन योजना को बंद करने का आदेश देने की चेतावनी दी है.
राज्य सरकार ने रेडी रेकनर मुआवजा देने के लिए समय मांगा है. रक्षा विभाग की जमीन होने के कारण रेडी रेकनर अभी तक लागू नहीं हो सका है. यह एक पूरी प्रक्रिया है और हमें इसके लिए समय दिया जाना चाहिए, ऐसा सरकारी वकील ने कोर्ट के सामने अपनी राय रखते हुए कहा है. सरकारी वकील ने कहा है कि हमें कम से कम 3 हफ्ते का वक्त दिया जाए. राज्य सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम कोर्ट के आदेश को टाल नहीं रहे हैं बल्कि हमें सिर्फ वक्त चाहिए.
सरकार के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आपको समय चाहिए तो हम लाड़ली बहन योजना को रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करेंगे. सरकारी वकील ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि लाड़ली बहन योजना का जिक्र सुर्खियां बन रहा है. गवई ने देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आपके पास 'मुफ्त बीज' के लिए हजारों करोड़ रुपये हैं. लेकिन आपके पास उन व्यक्तियों को भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं. 15 महीने बाद भी राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
राज्य सरकार द्वारा जब्त भूमि के बदले मुआवजे के भुगतान को लेकर दायर हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं है. वकीलों को मुख्य सचिव से बात कर समाधान निकालना चाहिए. 1963 में राज्य सरकार के अधिकार के बिना याचिकाकर्ता से अनौपचारिक रूप से अधिग्रहण कर लिया गया. इसके बाद बेकार पड़ी वन भूमि दे दी गयी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को 60 साल से उसकी सीट नहीं दी गई है.
अब 28 अगस्त को यह देखना अहम होगा कि सरकार इस मामले में मुआवजे के लिए क्या प्रस्ताव रखती है. याचिकाकर्ताओं को मौजूदा दरों पर मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है. अगली सुनवाई में कोर्ट का फैसला स्पष्ट होगा.
First Updated : Thursday, 15 August 2024