IAS Pooja khadekar: 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर अपने रुतबे को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. हाल ही में उनका ट्रांसफर भी हो गया है. आरोप है कि वो अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर लाल और नीली बत्ती के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार का चिन्ह लगाकर चलती थी. इसके अलावा यूपीएससी ने महाराष्ट्र सरकार को आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर के जाति और विकलांगता प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया है.
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा में पद हासिल करने के लिए फर्जी तरीकों का इस्तेमाल किया. वहीं, परिवीक्षाधीन अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच के लिए गठित केंद्रीय समिति के समक्ष गवाही देने के बाद “सच्चाई सामने आ जाएगी।”
पूजा खेडकर के खिलाफ जांच में पता चला है कि उसने एक्जॉम में प्रवेश करने के लिए कई विकलांगता प्रमाण पत्र मांगे थे, जिनमें से एक को अस्वीकार कर दिया गया था. पुणे से तबादले के बाद वाशिम में तैनात जूनियर अधिकारी ने अपनी संपत्ति के बारे में यूपीएससी को भी गुमराह करने की कोशिश की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वो ओबीसी में गैर-क्रीमी लेयर से संबंधित है, हालांकि उसके पिता की घोषित संपत्ति ₹ 40 करोड़ थी जो ₹ 8 लाख की वार्षिक पारिवारिक आय सीमा से कहीं ज्यादा थी.
पूजा ने विकलांग श्रेणी के तहत आईएएस में प्रवेश किया था, उनका दावा था कि वो दृष्टि दोष, चलने-फिरने में अक्षमता और मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं. पूजा ने 2022 में अहमदनगर जिले के पाथर्डी के उप-मंडल अधिकारी से एक गैर प्रमाण पत्र भी हासिल किया था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने ओबीसी कोटे के तहत सिविल सेवाओं में जाने के लिए किया था.
पूजा खडेकर को पहली बार 2018 में अहमदनगर जिला अस्पताल से दृष्टिबाधित विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया था. जिसके बाद तीन साल बाद, 2021 में उन्हें वही अधिकारियों ने मानसिक बीमारी प्रमाण पत्र जारी किया गया था.अहमदनगर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. संजय घोगरे ने कहा, "हमारे दफ़्तर से पूजा को जारी किए गए विकलांगता प्रमाण पत्र असली हैं. सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद उन्हें जारी किया गया".
आईएएस पूजा खडेकर ने सोमवार को अपने उपर लगे तमाम आरोपों के लिखा कहा कि "मैं विशेषज्ञ समिति के सामने गवाही दूंगी और समिति के निर्णय को स्वीकार करूंगी... मुझे चल रही जांच के बारे में आपको बताने का अधिकार नहीं है. मेरे पास जो भी सबमिशन हैं, वो बाद में सार्वजनिक हो जाएंगे. हमारा संविधान 'दोषी साबित होने तक निर्दोष' के सिद्धांत पर आधारित है, इसलिए मीडिया ट्रायल द्वारा मुझे दोषी साबित करना गलत है.