नाराज किसान ने मंत्री नितेश राणे को पहनाई प्याज की माला, हिरासत में लिया गया, जानें क्या है पूरा मामला
प्याज की गिरती कीमतों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. इस साल की शुरुआत में प्याज की घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए लगाई गई एक्सपोर्ट ड्यूटी की महाराष्ट्र के किसानों और राजनीतिक नेताओं ने व्यापक आलोचना की है.
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे को एक किसान के गुस्से का सामना करना पड़ा है. चिराई गांव के एक धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे नितेश राणे को एक किसान ने प्याज की माला पहना दी. प्याज उत्पादक किसान ने जैसे ही मंच पर बोलने की कोशिश की. उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया. यह घटना सोमवार को संत निवृत्तिनाथ महाराज के पादुका दर्शन कार्यक्रम में हुई.
कम दाम मिलने से नाराज हैं किसान
दरअसल, प्याज की कीमतों में भारी गिरावट से किसान नाराज हैं, पिछले 10 दिनों में प्याज की कीमतों में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है. उनका तर्क है कि प्याज पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क कीमतों को स्थिर करने में विफल रहा है, किसानों का कहना है कि प्याज पर सरकार का निर्यात शुल्क लगाने का फैसला गलत साबित हुआ है. इससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है. वे सरकार से तत्काल मदद की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो उनका आंदोलन और तेज होगा. किसानों की समस्याओं पर सरकार क्या कदम उठाती है, यह देखना होगा.
पवार ने लिखा पीयूष गोयल को पत्र
इससे पहले गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने केंद्र सरकार से प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाने का आग्रह किया था. उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर नासिक के प्याज किसानों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला. पवार ने कहा कि नई फसल आने से मंडियों में प्याज की भरमार हो गई है. किसानों को अपना उत्पाद औसतन 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचना पड़ रहा है.
पवार ने लिखा, "गर्मियों की फसल खत्म हो गई है और नई फसल महाराष्ट्र भर के बाजारों में पहुंच गई है. हालांकि, किसान अब परेशान हैं क्योंकि वे अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल करने में असमर्थ हैं." एनसीपी नेता ने यह भी बताया कि बेमौसम बारिश और जलवायु परिवर्तन की वजह से प्याज उत्पादकों को पहले ही काफी नुकसान हो चुका है. उन्होंने किसानों के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों का हल निकालने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया. इस साल की शुरुआत में प्याज की घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए लगाई गई एक्सपोर्ट ड्यूटी की महाराष्ट्र के किसानों और राजनीतिक नेताओं ने व्यापक आलोचना की है.