महिला सुरक्षा के मुद्दे पर खुद घिरीं ममता, केंद्र ने लेटर का जवाब दे खोल दी पोल

West Bengal: सीएम ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने बलात्कारियों को सजा देने के लिए कड़े केंद्रीय कानून की मांग की थी. इस पत्र के जवाब में सरकार ने उनकी ही क्लास लगा दी और ममता अपने ही मुद्दे पर घिर गईं. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता के पत्र का जवाब देते हुए कई तरह के गंभीर आरोप लगाए.

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West Bengal: कोलकाता में 9 अगस्त को महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप हत्या मामले के बाद केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सवाल खड़े किए हैं. केंद्र ने बंगाल सरकार पर महिलाओं के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि  राज्य ने शेष 11 विशेष त्वरित अदालतें शुरू करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.  राज्य में बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के 48,600 मामले लंबित हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,  सीएम ममता बनर्जी ने कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.  इसमें उन्होंने बलात्कारियों को सजा देने के लिए कड़े केंद्रीय कानून की मांग की थी. इसक पत्र के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बंगाल पर महिला हेल्पलाइन, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली और चाइल्ड हेल्पलाइन जैसी आपातकालीन हेल्पलाइन को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.

सेवाओं की जरूरत पर डाला प्रकाश

इस बीच केंद्रीय मंत्री ने हिंसा के पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए इन सेवाओं को जरूरी बताया.  उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से कई बार याद दिलाए जाने के बाद भी  राज्य ने अभी तक उन्हें एकीकृत नहीं किया है.  उन्होंने तर्क दिया कि यह चूक पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों को संकट के समय जरूरी सहयोग से वंचित करती है.  उन्होंने यौन अपराधों से संबंधित मामलों के बैकलॉग के बावजूद विशेष त्वरित अदालतें संचालित करने में राज्य की विफलता के बारे में भी बताया है, जिन्हें केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आवंटित किया गया है.

न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने पर जोर

इस दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बीते दिन 25 अगस्त को ममता बनर्जी के पत्र के जवाब में पत्र लिखा.  इसमें पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानूनी ढांचे व न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने पर जोर दिया गया है. अक्टूबर 2019 में शुरू की गई विशेष त्वरित अदालतों से जुड़ी योजना, बलात्कार, पॉक्सो से संबंधित लंबित मामलों की सुनवाई और निपटान में तेजी लाने के लिए तैयार की गई थी.  इस योजना के तहत, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को 123 ऐसी अदालतों की स्थापना के लिए कहा था, जिनमें 20 विशेष पॉक्सो अदालतें और बलात्कार व पॉक्सो दोनों मामलों के लिए 103 संयुक्त अदालतें शामिल हैं.

राज्य में बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित

इस बीच मंत्री ने कहा कि जून, 2023 के मध्य  तक इनमें से कोई भी अदालत चालू नहीं हुई थी. देवी ने बताया कि जून, 2023 में सात एफटीएससी शुरू करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद 30 जून, 2024 तक केवल 6 स्पेशल पॉक्सो अदालतें ही चल रही थीं.  उन्होंने कहा कि राज्य में बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित होने के बावजूद यह देरी हुई है.  मंत्री ने शेष 11 विशेष त्वरित अदालतें को सक्रिय करने में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर गंभीर चिंता जाहिर की है.

 मंत्री ने पश्चिम बंगाल सरकार से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव, हिंसा को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का भी आग्रह किया.  उन्होंने सुरक्षित और संरक्षित वातावरण बनाने का आह्वान किया जो लैंगिक समानता को बढ़ावा दे और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाए.

First Updated : Monday, 26 August 2024