Manipur High Court : मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल करने के आदेश को बदल दिया है. नए आदेश के बाद मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति सूची से बाहर होगा. जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलु की बेंच ने आदेश से एक विवादित पैराग्राफ को हटाते हुए टिप्पणी की है कि यह सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के रुख के खिलाफ था. यह पूरा मामला क्या है और इसमें अब तक क्या-क्या हुआ इसके बारे में हम आपको 10 प्वाइंट्स में बता रहे हैं.
1. 27 मार्च 2023 को हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को ST लिस्ट में शामिल करने का निर्देश दिया था. इसके बाद से ही पूर्वोत्तर राज्य में माहौल तनावपूर्ण हो गया था. 3 मई 2023 से दो समुदायों में झड़पें शुरू हो गई थीं. हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
2. आज 22 फरवरी 2024 को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में पुराने आदेश में संशोधन कर दिया. न्यायमूर्ति गाइफुलशिलु ने कहा कि अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन के लिए भारत सरकार ने प्रक्रिया निर्धारित की है. उन्होंने लगभग 11 महीने पहले पारित आदेश के पैरा 17 (iii) में निहित हाईकोर्ट के निर्देश को हटाने पर जोर दिया.
3. अदालत ने साल 2013-14 में जारी जनजातीय मामलों के मंत्रालय की रिपोर्ट में शामिल विस्तृत संवैधानिक प्रोटोकॉल का उल्लेख भी किया. उच्च न्यायालय की खंडपीठ अपने 19 पेज के फैसले में कहा, एकल न्यायाधीश के फैसले में पैरा 17(iii) सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में की गई टिप्पणी के खिलाफ है.
4. नवंबर 2000 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने साफ किया था कि अधिकार क्षेत्र का विस्तार नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट तक गया मामला, CJI चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसले को गलत माना था.
5. 27 मार्च को पारित मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में व्यापक हिंसा भड़की थी. अलग-अलग इलाकों में हिंसा के कारण 150 से अधिक लोगों की मौत की खबरें सामने आई थी. इसके बाद, उच्च न्यायालय के निर्देश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.
6. 17 मई, 2023 को पारित आदेश में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, 'मणिपुर उच्च न्यायालय का आदेश गलत था.' हालांकि, उन्होंने साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट बहुसंख्यक मैतेई लोगों को आरक्षण देने के मणिपुर उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न होने वाले कानूनी मुद्दों से नहीं निपटेगी.
7. मणिपुर में राजधानी इंफाल बीच में है. यह पूरे प्रदेश का 10% हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57% आबादी रहती है. बाकी चारों तरफ 90% हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 43% आबादी रहती है. इंफाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है. ये ज्यादातर हिंदू हैं.
8. मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53% है. वहीं, दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं. इनमें प्रमुख रूप से नगा और कुकी जनजाति हैं. ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं.
9. मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद तनाव की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई. ये राजधानी इंफाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है. इस जिले में कुकी आदिवासी ज्यादा हैं. गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का ऐलान किया था.
10. इसके बाद बंद ने हिंसक रूप ले लिया. उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने वन विभाग के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया. 27-28 अप्रैल की हिंसा में मुख्य तौर पर पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे. First Updated : Thursday, 22 February 2024