Explainer: इतिहास में 21 जनवरी की तारीख काफी घटनाओं के साथ दर्ज की गई है. आज के दिन कई ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें कभी भूलाया नहीं जा सकता है. भारत के संघीय इतिहास में इस दिन का महत्व इसीलिए भी है क्योंकि इस दिन मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा के रूप में तीन राज्यों का उदय हुआ था. पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा को 21 जनवरी 1972 को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था. देश में आज की तारीख को काफी महत्वूर्ण माना गया है.
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मेघालय में आदिवासी लोगों की संस्कृति को संरक्षित करने को एक नीति विकसित की, इस क्षेत्र को भारतीय संविधान में अन्य जनजातीय क्षेत्रों के साथ विशेष सुरक्षा दी गई थी और इसे काफी स्वतंत्रता प्राप्त थी. 1960 में जब असमिया राज्य गकी आधिकारिक भाषा बन गई तो स्वतंत्रता और शासन के लिए आंदोलन ने गति पकड़ ली. यह आंदोलन काफी हद तक शांतिपूर्ण और संवैधानिक था, 1970 में, मेघालय असम के भीतर एक स्वतंत्र राज्य बन गया और बाद में 21 जनवरी 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ.
कई लोगों के संघर्ष करने के बाद आज के दिन केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर राज्य बना. जिसमें वे क्षेत्र शामिल थे जो उस दिन से पहले 1971 के अधिनियम के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश मणिपुर के थे. अंग्रेजों के शासन में मणिपुर एक रियासत हुआ करती थी, 1947 में मणिपुर के महाराजा को कार्यकारी प्रमुख बनाते हुए यहां एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया गया. 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हो गया और 21 जनवरी 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया.
भारत में ब्रिटिश शासक के दौरान भी त्रिपुरा माणिक्य वंश के महाराजाओं के अधीन एक स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई थी, हालांकि यह स्वतंत्रता प्रत्येक क्रमिक शासक की सर्वोच्च शक्ति के रूप में ब्रिटिश द्वारा मान्यता के अधीन थी, अपने लोगों के लगातार प्रयासों और संघर्ष से त्रिपुरा को 1971 अधिनियम के तहत 21 जनवरी 1972 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और 1978 में स्थानीय निकाय चुनावों के साथ इसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत के रूप से हुई. First Updated : Sunday, 21 January 2024