Manipur: पिछले एक साल में मणिपुर में हुई हिंसा की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए गए थे. ये एसआईटी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आईपीएस अधिकारियों द्वारा संचालित की जा रही थीं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, इन अधिकारियों को मणिपुर भेजा गया था ताकि हिंसा और यौन उत्पीड़न के मामलों की निष्पक्ष और प्रभावी जांच की जा सके.
3 अगस्त 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) दत्तात्रेय पडसलगीकर को मणिपुर में यौन हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच का समग्र मॉनिटर नियुक्त किया. इसके बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे एसआईटी के लिए अपने अधिकारियों को नामित करें. इस निर्देश के पालन में राजस्थान, ओडिशा, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा के आईपीएस अधिकारियों को मणिपुर भेजा गया.
राज्यों ने अधिकारियों को वापस बुलाया
हालांकि, हाल ही में कुछ राज्यों ने अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया है और उनके स्थान पर नए अधिकारियों की नियुक्ति की है. पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश ने अपने आईपीएस अधिकारियों को उनके मूल कैडर में वापस बुलाने का निर्णय लिया है. इसका कारण अधिकारियों को पदोन्नति मिलने के बाद उनके कैडर में लौटने की इच्छा है. इन अधिकारियों ने दत्तात्रेय पडसलगीकर से अनुरोध किया था कि उन्हें उनके गृह कैडर में वापस भेजा जाए.
नए अधिकारियों की नियुक्तियां
मणिपुर के डीजीपी ने 6 सितंबर 2024 को आदेश जारी किया जिसमें मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी आलोक कुमार और राजीव कुमार मिश्रा को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया. उनके स्थान पर नए अधिकारी रामशरण प्रजापति और सुशील रंजन को नियुक्त किया गया है. इसी तरह, हरियाणा ने आईपीएस अधिकारी सुरिंदर पाल सिंह को वापस बुला लिया और उनके स्थान पर राजेंद्र कुमार मीना को नियुक्त किया.
पंजाब ने भी इसी प्रकार के बदलाव किए हैं. पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी शुभम अग्रवाल को वापस बुला लिया गया और उनकी जगह आदित्य एस वार को नियुक्त किया गया. इसी प्रकार, मध्य प्रदेश ने भी आईपीएस अधिकारी आशुतोष बागरी को वापस बुलाया और उनकी जगह वैष्णव शर्मा को तैनात किया.
जांच का प्रभाव
इन बदलावों से मणिपुर में एसआईटी के कामकाज पर असर पड़ा है. दत्तात्रेय पडसलगीकर ने सीबीआई निदेशक और गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा था जिसमें एसआईटी अधिकारियों के लिए रोटेशन नीति लागू करने का सुझाव दिया गया था. उन्होंने मणिपुर पुलिस की वर्तमान स्थिति का उल्लेख किया और बताया कि यह एसआईटी के रोजमर्रा के काम को प्रभावित कर रही है.
इन बदलावों और अधिकारियों की अदला-बदली से मणिपुर में हिंसा की जांच की प्रक्रिया में नयी चुनौतियां आ रही हैं और इसका प्रभाव जांच की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर पड़ सकता है. First Updated : Thursday, 12 September 2024