देश के मणिपुर राज्य में मई महीने के शुरुआती दिनों में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई। ये हिंसा इतनी बढ़ गई कि कई लोगों ने इस दंगे में अपनी जान गवां दी। कुछ समय प्रदेश में हालात इतने खराब हो गए थे कि ट्रकों को सीमा के बाहर ही रुकना पड़ रहा था। जिससे रोजाना के आवश्यक सामान भी लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा था।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सेना और पुलिस बलों की के सहयोग से प्रदेश में हालात पहले की तरह सामान्य होने लगे हैं। मणिपुर की जनता तक अब राशन, खाद्य व राहत सामग्री पहुंचने लगी है।
मणिपुर में हिंसा के बाद हालात सुधरने लगे हैं। राज्य में सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद 16 मई और 17 मई को करीब 100 वाहनों को स्थानांतरित किया गया। वहीं पुलिस राज्य सरकार व लोगों की हर संभव मदद कर रही है। पुलिस के यही कोशिश है कि प्रदेश में सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाए। साथ ही मणिपुर में NH 37 पर वाहनों की आवाजाही की शुरुआत सामान्य स्थिति की ओर ले जा रही है।
मणिपुर की जनता को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए अब सेना भी अपना अहम योगदान के रही है। 15 मई को सीआरपीएफ और मणिपुर पुलिस के संरक्षण में जेसीबी सहित 28 वाहनों का एक काफिले ने चावल, चीनी, दाल, ट्रक, ईंधन टैंकर नोनी से इंफाल तक पहुंचा है। इस दौरान काफिले को सुरक्षा के साथ पहुंचाने के लिए असम राइफल्स द्वारा क्षेत्र को खाली कराया गया वहीं ड्रोन के के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
3 मई, 2023 को मणिपुर में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया। इस दौरान मेइती की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में हिंसक झड़पें हुईं। देखते ही देखते यह झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया। वहीं आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को निकालने से पहले तनाव कि स्थिती उत्पन्न हुई और कई छोटे-छोटे आंदोलन भी हुए। First Updated : Thursday, 18 May 2023