Manipur Violence: जनजातीय जिलों के लिए अलग शीर्ष अधिकारी की मांग, कुकी विधायकों ने पीएम को लिखा पत्र
Manipur Violence: कुकी जनजाति के दस विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में कुकी-जनजाति बहुल पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक अलग मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की है.
हाइलाइट
- जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत
- आरक्षण की मांग को लेकर 3 मई को भड़की थी हिंसा
- जनजातीय जिलों के लिए अलग शीर्ष अधिकारी की मांग
Manipur Violence: भाजपा के सात विधायकों सहित दस कुकी विधायकों ने बुधवार को पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें अनुरोध किया गया कि राज्य के पांच पहाड़ी जिलों में "कुशल प्रशासन" सुनिश्चित करने के लिए "मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद" स्थापित किए जाएं. जिन पांच जिलों के लिए उन्होंने यह मांग उठाई है, उसमें चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फेरज़ॉल शामिल है. गौरतलब है कि मणिपुर पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है.
दस विधायकों द्वारा प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि, "कुकी- ज़ो जनजातियों से संबंधित आईएएस, एमसीएस, आईपीएस और एमपीएस अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं क्योंकि इंफाल घाटी भी हमारे लिए मौत की घाटी बन गई है."
विधानसभा सत्र में भाग लेने से कुकी विधायकों का इंकार
इससे पहले 10 विधायकों ने पीएम मोदी से मणिपुर के आदिवासी इलाकों के लिए अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया था. राज्य में चल रही जातीय हिंसा का हवाला देते हुए, अधिकांश कुकी विधायक, पार्टी संबद्धता की परवाह किए बिना 21 अगस्त से शुरू होने वाले मणिपुर विधानसभा सत्र में भाग लेने से इंकार कर दिया है.
एक मैतेई निकाय जो कुकियों के लिए अलग प्रशासनिक इकाइयों की मांग को सर्वसम्मति से खारिज करने के लिए एक प्रारंभिक विधानसभा सत्र के आह्वान का नेतृत्व कर रहा है, ने कहा कि यदि वे विधानसभा सत्र में भाग लेते हैं तो यह आदिवासी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक की मौत
कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मारे जाने की जानकारी है जबकि हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं. मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग को लेकर 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी.