कांग्रेस दफ्तर लाया गया मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन के लिए मौजूद खरगे, सोनिया और राहुल गांधी
मनमोहन सिंह का गरुवार रात एम्स में 92 साल की उम्र में निधन हो गया था. गृह मंत्रालय ने बताया, सरकार ने फैसला लिया है कि डॉ मनमोहन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. गृह मंत्रालय की तरफ से नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर 11.45 बजे अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया है. इससे पहले मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को कांग्रेस कार्यालय में रखा जाएगा, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता और आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे. यहां से उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी.
डॉ.मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके आवास से एआईसीसी मुख्यालय के लिए ले जाया जा रहा है. पार्टी कार्यकर्ताओं के अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को एआईसीसी मुख्यालय में रखा जाएगा. लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी, पार्टी सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी नेता अशोक गहलोत एआईसीसी कार्यालय पहुंच चुके हैं.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जारी की एडवाइजरी
दिल्ली के कई इलाकों में यातायात पर असर देखने को मिल सकता है. यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिए ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई है. अंतिम क्रिया में अलग-अलग देशों के गणमान्य व्यक्ति, वीआईपी, वीवीआईपी और आम जनता उपस्थित रहेंगे. सुचारू और व्यवस्थित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए, कई प्रमुख ट्रैफिक डायवर्जन की घोषणा की गई है.
कांग्रेस ने की स्मारक बनाने की मांग
कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल उनका स्मारक बनाने की मांग कर रहे हैं, जिस पर सरकार ने सहमति दी है. इसके लिए एक ट्रस्ट बनाने का फैसला लिया गया है. बता दें कि 26 दिसंबर की रात मनमोहन सिंह का दिल्ली के AIIMS अस्पताल में निधन हुआ था. उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें भर्ती कराया गया था.
53 साल के राजनीतिक जीवन में हासिल किए कई मुकाम
डॉ. मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक से लेकर राजनीतिक जीवन तक में वो मुकाम हासिल किया, जिसे देश हमेशा याद करेगा. करीब 53 साल का लंबा करियर रहा. लेकिन ना कभी विवादों में आए, ना उसूलों से समझौता किया. बल्कि खुद की पहचान शांत, सरल, सौम्य और निर्विवाद शख्सियत की बनाई. वे अपनी जड़ों को भी कभी नहीं भूले और अंतिम समय तक कॉमन मैन बने रहे. असंभव को संभव करके दिखाया और अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील को मुकाम तक पहुंचाया.