Explainer: चक्रवात मिचौंग के चलते चेन्नई में बाढ़ आ गई है, 48 घंटों के अंदर ही 40 सेमी से ज़्यादा बारिश होने के बाद ही पूरे चेन्नई में बाढ़ के हालात बन गए हैं. पिछले 6 दिनों से पूरा शहर पानी में डूबा हुआ है. इस तरह के हालात जलवायु संकट का संकेत देते हैं. इस स्तिथी को लेकर पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स की रिसर्च में एक चौकाने वाली जानकारी सामने आई है.
बंगाल की खाड़ी से आई तबाही
बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात का नाम म्यांमार ने मिचौंग रखा. लेकिन इसका जन्म कैसे हुआ? इस साल देश में तबाही मचाने वाला यह छठा तूफान है. बंगाल की खाड़ी से टकराने वाला चौथा चक्रवात. इस चक्रवात के कारण चेन्नई डूब गया. कई जगहों पर पानी जमा हो गया. यह चक्रवाती तूफान अब चेन्नई से आगे बढ़ गया है. गुंटूर और विशाखापत्तनम में भी इसका खासा असर है.
तूफान का असर
चक्रवाती तूफान मिचोंग अब कमजोर हो गया है. मंगलवार को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर और मछलीपट्टनम के बीच तट से टकराने से पहले इसने चेन्नई समेत तमिलनाडु के चार जिलों में भारी तबाही मचाई, जिसका विनाशकारी मंजर अभी भी दिख रहा है. गुरुवार को भी स्कूल-कॉलेज बंद रहे और स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. चक्रवात से इस तरह के हालात पहली बार सामने नहीं आए हैं. इसके पहले पूर्वोत्तर मॉनसून से भारी बारिश के चलते 2015 में शहर कई दिनों तक पानी में डूब गए थे.
क्या कहती है रिसर्च?
हाल ही में सामने आई पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स की रिसर्च में खुलासा हुआ कि आने वाले समय में इससे भी खरतनाक हालात पैदा हो सकते हैं. रिसर्च में कहा गया कि भारत, भूमध्य रेखा के करीब है जिसकी वजह से उच्च अक्षांशों के मुकाबले उच्च अक्षांशों की तुलना में समुद्र के स्तर में ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है. इसके साथ ही भारत के तटीय शहरों में खारा पानी आने की वजह से एक बड़ा खतरा बढ़ सकता है. इससे खेती पर असर पड़ेगा, भूजल की गुणवत्ता में गिरावट और पानी से पैदा होने वाली बीमारियां भी बढ़ेंगी.
3 फीट पानी में डूब जाएंगे शहर?
2021 में आई इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट में भारत को चेताया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया कि सबसे खतरनाक जोखिम कारक समुद्र का स्तर बढ़ना है, जिससे इस साल के आखिर तक भारत के 12 तटीय शहर पूरी तरह से पानी में डूब सकते हैं. आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई, चेन्नई, कोच्चि और विशाखापत्तनम सहित एक दर्जन भारत के शहरों के करीब तीन फीट पानी में डूबने की संभावना है.
फैलता जा रहा समुद्र
जो लोग समुद्र के तट पर रहते हैं उनको पेहले से ही इस बात का एहसास होने लगा है कि समुद्र फैलता जा रहा है. 70 लाख से ज्यादा समुद्र किनारों पर खेती और मछली पकड़ने वाले परिवार पहले से ही इस खतरे को महसूस करने लगे हैं. समुद्र के लगातार बढ़ने से तटो का कटाव हो रहा है, अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी तरह से सब रहा तो 2050 तक लगभग 1500 वर्ग किलोमीटर जमीन को समुद्र निगल जाएगा.
तटों तक सीमित नहीं प्रभाव
जलवायु परिवर्तन का असर सिर्फ समुद्र के किनारे तक ही सींमित नहीं रहेगा, अगर ऐसा हुआ तो इसका असर शहरों तक देखा जाएगा. इससे बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के शहरों में अक्सर बाढ़ और भूस्खलन के मामले सामने आते रहते हैं. यहां तक कि इस साल दिल्ली भी बाढ़ जैसी आपदा से प्रभावित हुई थी. First Updated : Thursday, 07 December 2023